Friday, November 14, 2025
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हरिद्वार में 6 दिन में 3 हाथियों की मौत से मचा हड़कंप

हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार वन प्रभाग में हाल के दिनों में हाथियों की संदिग्ध मौतों ने चिंता बढ़ाई है, लेकिन राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए वन्यजीव संरक्षण को मजबूत बनाने का संकल्प लिया है। वन मंत्री सुबोध उनियाल के सख्त निर्देशों पर चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन की अगुवाई में विशेष जांच टीम हरिद्वार पहुंच चुकी है। यह टीम न केवल मौतों के कारणों की गहन जांच करेगी, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय सुझाएगी।

तीन मौतों से सबक, अब सुरक्षा की मजबूत दीवार पिछले छह दिनों में हरिद्वार डिवीजन में तीन नर हाथियों की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई, जिससे वन विभाग में हड़कंप मच गया। पहली घटना 26 सितंबर को खानपुर रेंज में अमरूद के बगीचे में हुई, जहां 30-35 वर्षीय हाथी का शव मिला। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह करंट लगने से हो सकती है, हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है।

29 सितंबर को खानपुर रेंज के बुग्गावाला गांव के पास 42 वर्षीय एक दांत वाले हाथी का शव मिला, जिसकी मौत स्पष्ट रूप से इलेक्ट्रिक फेंसिंग के कारण करंट लगने से हुई। वन विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए भूस्वामी के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया और दो किसानों को गिरफ्तार भी किया गया। ऊर्जा निगम को निर्देश दिए गए हैं कि वन क्षेत्रों के आसपास के खेतों से अवैध करंट तार तुरंत हटाए जाएं।

तीसरी घटना 1 अक्टूबर को श्यामपुर रेंज में हुई, जहां 30 वर्षीय कमजोर नर हाथी की मौत हार्ट फेल से बताई जा रही है। हालांकि, पास में सोलर फेंसिंग दिखने से सवाल उठे हैं। वन संरक्षक शिवालिक राजीव धीमान ने बताया, “हम घटनास्थलों का सघन निरीक्षण कर रहे हैं और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है। मौतों के पीछे मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या प्रमुख है, लेकिन हम इसे रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं।”

 वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा, “हाथी उत्तराखंड की जैव विविधता का अभिन्न अंग हैं। इन मौतों से दुखी हूं, लेकिन हम इसे सबक बनाकर आगे बढ़ेंगे। चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन को तत्काल टीम भेजने के निर्देश दिए हैं। अवैध इलेक्ट्रिक फेंसिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगेगा और किसानों को वैकल्पिक सुरक्षित तरीके सुझाए जाएंगे।” मंत्री ने अवैध वेनम सेंटर के मामलों पर भी कार्रवाई तेज करने के आदेश दिए हैं, जो पहले से ही जांच के दायरे में हैं।

उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां हाथी संरक्षण के लिए विशेष योजनाएं चल रही हैं। राज्य में हाथी आबादी बढ़ रही है—2020 की गणना में 2026 हाथी थे, जो सकारात्मक संकेत है। लेकिन मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए सरकार ने 572 फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट कमेटियां गठित की हैं, जो स्थानीय स्तर पर संरक्षण सुनिश्चित करेंगी। 80 प्रतिशत राजस्व स्थानीय समुदायों को दिया जा रहा है, जिससे संरक्षण आर्थिक रूप से लाभदायक बनेगा।

वन विभाग अब किसानों और ग्रामीणों के लिए जागरूकता शिविर आयोजित करेगा, जहां सोलर फेंसिंग के सुरक्षित विकल्प और हाथियों के प्राकृतिक मार्गों का सम्मान सिखाया जाएगा। चीफ मिनिस्टर पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ‘हाउस ऑफ हिमालयास’ जैसी योजनाएं स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दे रही हैं, जो पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी हैं।

यह कदम न केवल हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व को मजबूत बनाएगा। वन्यजीव प्रेमी और स्थानीय निवासी सरकार की इस पहल की सराहना कर रहे हैं।

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