NTI (देहरादून): राजधानी देहरादून में रात के समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। न तो सरकार और न ही जिम्मेदार विभाग इसकी सुध ले रहे हैं। पर्यटन और यात्रा सीजन में दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटकों और यात्रियों से मनमाने ढंग से तीन गुना तक किराया वसूला जा रहा है। यह हाल तब है, जब रात में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा बेहद सीमित है और कई बार यह पूरी तरह भगवान भरोसे चल रही है। जिम्मेदार विभागों के अधिकारी यदि आधी रात को बस स्टेशन पर पहुंचकर हकीकत देखें, तो सच्चाई सामने आ सकती है।
रात में किराए की लूट, कोई नियम नहीं
दिन में जहां 10 रुपये का किराया लिया जाता है, वहीं रात में यही किराया तीन गुना तक बढ़ जाता है। कई पब्लिक ट्रांसपोर्ट संचालक रात में ही सड़कों पर वाहन चलाते हैं और सुबह होते ही गायब हो जाते हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार ने अब तक रात के समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए कोई गाइडलाइन या किराया निर्धारण नहीं किया है। नतीजतन, पर्यटक और यात्री मनमाने किराए का शिकार हो रहे हैं।
हमारी टीम ने सुबह 4:30 बजे पर्यटक बनकर देहरादून के आईएसबीटी का जायजा लिया। वहां विक्रम, ऑटो और ई-रिक्शा चालकों से प्रेमनगर जाने का किराया पूछा गया। किराए की जानकारी लेने पर स्थिति साफ हो गई। हर संचालक अपने मनमाफिक किराया वसूल रहा था। काफी जिरह के बाद भी ये संचालक अधिकतम 10-20 रुपये कम करने को तैयार हुए। आईएसबीटी से शहर के अन्य हिस्सों में वाहन बुक करने पर कम से कम 250 रुपये किराया लिया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, आईएसबीटी से घंटाघर तक का किराया 250 रुपये है, और दूरी बढ़ने के साथ किराया और बढ़ता जाता है।
यह समस्या सिर्फ आईएसबीटी तक सीमित नहीं है। देहरादून के कई इलाकों, जैसे रेलवे स्टेशन, मसूरी बस अड्डा और अस्पतालों के आसपास भी यात्री और स्थानीय लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मनमानी का शिकार हो रहे हैं। रात के समय जरूरत पड़ने पर ये ट्रांसपोर्ट संचालक अपने हिसाब से किराया वसूलते हैं। न तो प्रशासन और न ही पुलिस का इन पर कोई नियंत्रण है।
दून में 25 साल से कोई नीति नहीं
जानकारों के अनुसार, देश के कई शहरों में रात के समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए किराया निर्धारित है। कहीं प्रीपेड मीटर की सुविधा है, तो कहीं किलोमीटर के हिसाब से किराया तय है। लेकिन देहरादून में राज्य गठन के 25 साल बाद भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। कुछ साल पहले देहरादून रेलवे स्टेशन पर प्रीपेड बूथ बनाया गया था, लेकिन अब वह भी हटा दिया गया है।
शहर में दिन के समय स्मार्ट सिटी और महानगर बस सेवा की बसें चलती हैं, लेकिन रात में ऐसी कोई सुविधा नहीं है। विक्रम, ऑटो, ई-रिक्शा और टाटा मैजिक जैसे वाहन रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक मनमाने ढंग से किराया वसूलते हैं। आईएसबीटी पर सबसे ज्यादा किराए की लूट देखने को मिलती है, जहां रातभर बसों का आना-जाना लगा रहता है।
आरटीओ एनफोर्समेंट की डॉ. अनिता चमोला ने कहा, “हमें ऐसी शिकायतें मिली हैं कि रात के समय ज्यादा किराया वसूला जा रहा है। दो या तीन गुना किराया लेना गलत है। हमारी टीम जल्द ही मौके पर जाकर इसकी जांच करेगी।”
देहरादून में रात के समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मनमानी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यात्रियों और पर्यटकों की सुविधा के लिए सरकार और प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। किराए का निर्धारण, रात में बस सेवा शुरू करना और प्रीपेड बूथ जैसी व्यवस्थाएं इस समस्या का समाधान हो सकती हैं।