NTI: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के डुंडा विकास खंड में स्थित थाती गांव का प्राथमिक विद्यालय जो सामुदायिक एकजुटता, दृढ़ संकल्प और सरकारी सहयोग से असंभव को संभव बनाने की मिसाल पेश करता है। इस विद्यालय ने जीर्ण-शीर्ण अवस्था से स्मार्ट स्कूल तक का एक चुनौतीपूर्ण, परंतु प्रेरणादायक सफर तय किया है। ग्राम प्रधान, शिक्षकों और स्थानीय समुदाय के अथक प्रयासों से प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र को एक ही छत के नीचे एक आदर्श शैक्षिक संस्थान के रूप में विकसित किया गया है। यह विद्यालय आज न केवल गांव के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि अपनी आधुनिक सुविधाओं और उत्कृष्ट प्रबंधन के कारण निजी स्कूलों को भी कड़ी टक्कर दे रहा है।
कुछ वर्ष पहले थाती गांव का यह विद्यालय बदहाली की तस्वीर पेश करता था। जर्जर भवन, टूटा-फूटा खेल का मैदान, और मूलभूत सुविधाओं जैसे शौचालय, बाउंड्री वॉल और फर्नीचर का अभाव इसकी पहचान थी। बच्चों की संख्या इतनी कम थी कि विद्यालय बंद होने के कगार पर था। अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना पसंद करते थे। लेकिन 2019 में ग्राम प्रधान के रूप में चुनी गईं श्रीमती तनुजा चौहान ने शिक्षा और स्वच्छता को अपनी प्राथमिकता बनाकर इस स्थिति को बदलने का बीड़ा उठाया। उनके नेतृत्व में गांव के लोग और शिक्षक एकजुट हुए, और विद्यालय के पुनर्निर्माण की नींव रखी गई।
इस परिवर्तन में उत्तराखंड सरकार का महत्वपूर्ण योगदान रहा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और गंगोत्री विधानसभा के विधायक श्री सुरेश चौहान के सहयोग से आदर्श ग्राम योजना और विशेष घटक योजना (एससीपी) के तहत बजट प्राप्त हुआ। नरेगा और अन्य योजनाओं के माध्यम से इस बजट का उपयोग कर विद्यालय परिसर का जीर्णोद्धार किया गया। पुराने भवनों का नवीनीकरण हुआ, नए शौचालय बनाए गए, क्लासरूम और बरामदों में टाइल्स लगाए गए, इंटरलॉकिंग टाइल्स से परिसर को सजाया गया, बाउंड्री वॉल और रेलिंग का निर्माण हुआ, और बच्चों के लिए एक सुरक्षित खेल का मैदान तैयार किया गया।
थाती विद्यालय की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि इसमें प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र एक ही परिसर में संचालित होते हैं। इस एकीकृत दृष्टिकोण का उद्देश्य बच्चों को आंगनबाड़ी से प्राथमिक और फिर उच्च प्राथमिक स्तर तक सहज और निर्बाध शिक्षा प्रदान करना है। इस मॉडल ने न केवल बच्चों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराईं, बल्कि निजी स्कूलों से बच्चों को इस विद्यालय की ओर आकर्षित करने में भी सफलता हासिल की। परिणामस्वरूप, इस वर्ष प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नए बच्चों का नामांकन हुआ है, और आसपास के गांवों से भी बच्चे यहां पढ़ने आ रहे हैं।
आज यह विद्यालय आधुनिक सुविधाओं का केंद्र बन चुका है। स्मार्ट क्लासरूम, कंप्यूटर कक्ष, और ‘ज्ञान कंप्यूटर’ जैसी सुविधाएं कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों को डिजिटल शिक्षा प्रदान कर रही हैं। प्लान इंडिया की टीम ने विद्यालय का दौरा कर इसकी प्रगति की सराहना की और ज्ञान कंप्यूटर प्रदान किए। साफ-सुथरे क्लासरूम, व्यवस्थित ऑफिस, रसोईघर, और बच्चों के लिए आकर्षक खेल का मैदान इस विद्यालय को निजी स्कूलों के समकक्ष बनाते हैं। निशुल्क बस सेवा की शुरुआत ने भी आसपास के गांवों से बच्चों की पहुंच को और आसान बनाया है।
इस परिवर्तन की कहानी में ग्राम प्रधान श्रीमती तनुजा चौहान और उनके शिक्षक पिता की प्रेरणा महत्वपूर्ण रही। 2020 में नियुक्त प्रधानाध्यापिका ने भी विद्यालय की स्थिति सुधारने में अहम भूमिका निभाई। उनके अनुसार, पहले टूटी खिड़कियां, जर्जर दरवाजे और अपर्याप्त संसाधन चुनौतियां थीं, लेकिन सामुदायिक सहयोग और सरकारी समर्थन से ये कमियां दूर की गईं। फर्नीचर, साफ-सुथरे कमरे, और आधुनिक सुविधाओं ने विद्यालय को नया रूप दिया।
विद्यालय के साथ-साथ गांव में स्वच्छता और बुनियादी ढांचे पर भी विशेष ध्यान दिया गया। ग्रे वाटर को गांव से बाहर निकालने के लिए पीवीसी पाइपलाइन बिछाई गई, सार्वजनिक शौचालय बनाए गए, और गांव के रास्तों को इंटरलॉकिंग टाइल्स से सजाया गया। ये सभी प्रयास ग्राम सभा के सामूहिक सहयोग का परिणाम हैं, जिसने गांव को स्वच्छ और सुंदर बनाया।
थाती गांव का यह विद्यालय अब एक मॉडल स्कूल के रूप में उभर रहा है, जो अन्य गांवों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। स्मार्ट क्लासेस, समर्पित शिक्षक, और आधुनिक सुविधाओं के साथ यह स्कूल निजी स्कूलों से किसी भी मायने में कम नहीं है। यह साबित करता है कि ग्राम प्रधान, शिक्षक और समुदाय की एकजुटता सरकारी स्कूलों को भी उत्कृष्ट बना सकती है।
थाती गांव का यह विद्यालय सामुदायिक प्रयास और सरकारी सहयोग से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने का एक जीवंत उदाहरण है। यह न केवल स्थानीय बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि अन्य गांवों को भी यह संदेश दे रहा है कि सही दिशा में प्रयास से हर गांव में एक आदर्श विद्यालय स्थापित किया जा सकता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि शिक्षा और समर्पण से कोई भी चुनौती छोटी हो सकती है, और हर बच्चे का भविष्य उज्ज्वल बनाया जा सकता है।