देहरादून: राजधानी देहरादून की अगले 30 साल तक पानी की ज़रूरत पूरी करने के लिए बनाए जा रहे महत्वाकांक्षी सौंग डैम का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है। इस परियोजना के सबसे महत्वपूर्ण और पहले चरण के तौर पर कॉफर डैम की टेस्टिंग का काम सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। यह कॉफर डैम सौंग नदी के पानी को मोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा, जिसके बाद मुख्य डैम का निर्माण शुरू हो पाएगा।
परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, जल्द ही कॉफर डैम का निर्माण कार्य शुरू होगा। हालांकि डैम निर्माण की मूल समय-सीमा मार्च 2030 रखी गई है, सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने दावा किया है कि इसे एक साल पहले, यानी मार्च 2029 तक पूरा कर लिया जाएगा।
परियोजना का विवरण
इस डैम का निर्माण सिंचाई विभाग के अंतर्गत उत्तराखंड प्रोजेक्ट डेवलपमेंट एंड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। परियोजना के जीएम प्रशांत विष्णोई ने बताया कि कॉफर डैम की लंबाई 35 मीटर और ऊंचाई 12 मीटर तक है। कॉफर डैम में पानी मोड़ने के बाद ही मुख्य साइट पर काम शुरू हो सकेगा। कॉफर डैम की टेस्टिंग पूरी हो चुकी है और मानसून के बाद इसका निर्माण शुरू किया जाएगा।
डैम साइट पर प्रोजेक्ट का साइट ऑफिस भी बनकर तैयार हो गया है, जहां दो एक्सईएन सहित एक दर्जन से अधिक एई और जेई काम कर रहे हैं। निर्माण कंपनी का साइट ऑफिस भी तैयार है, जिससे काम में और तेज़ी आने की उम्मीद है।
जीएम ने बताया कि परियोजना की कुल लागत 2069 करोड़ रुपए है, जबकि देहरादून के लिए पेयजल योजना पर 422 करोड़ रुपए अलग से खर्च किए जाएंगे।
कनेक्टिविटी और पुनर्वास
रायपुर के मालदेवता क्षेत्र में सौंग नदी पर बन रहे इस मल्टीपर्पज़ डैम तक पहुँचने के लिए 10 किलोमीटर लंबी एप्रोच रोड का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में 6 किलोमीटर डबल लेन रोड की कटिंग का काम पूरा हो चुका है। पुल और अन्य प्रारंभिक कार्य भी तेज़ी से चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त, परियोजना से प्रभावित क्षेत्रों के लिए रगडगाँव में एक इंटर कॉलेज का निर्माण भी कराया जा रहा है। प्रभावित 344 परिवारों को लिस्ट्राबाद और रैनापुर में विस्थापित किया जा रहा है, और यह प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है।
सौंग डैम के लाभ
यह महत्वकांक्षी परियोजना न केवल राजधानी से सटे डोईवाला क्षेत्र के सूखे खेतों को हरा-भरा करेगी, बल्कि देहरादूनवासियों की प्यास भी बुझाएगी। डैम के निर्माण से राजधानी को भविष्य में पानी की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा और शहर को लगभग 150 एमएलडी पीने का पानी मिलेगा।
इस डैम से आने वाले पानी से करोड़ों की बिजली की बचत भी होगी। यह पानी ग्रेविटी के ज़रिए देहरादून शहर में पहुँचेगा, जिससे शहर के अधिकांश ट्यूबवेल से पानी की सप्लाई बंद हो जाएगी। 24 घंटे चलने वाले इन ट्यूबवेलों पर हर महीने करोड़ों रुपए की बिजली खर्च होती है, जिसकी बचत होगी।
प्रोजेक्ट की मुख्य बातें:
- कुल लागत: 2500 करोड़ रुपए (लगभग)
- डैम निर्माण लागत: 2070 करोड़ रुपए
- पेयजल योजना लागत: 422 करोड़ रुपए
- प्रभावित परिवार: 344
- वन भूमि का दायरा: 127.6712 हेक्टेयर
- निजी भूमि का दायरा: 10.560 हेक्टेयर
- डैम की लंबाई: 14 किलोमीटर
- डैम की ऊंचाई: 130 मीटर
- पेयजल आपूर्ति: 150 एमएलडी
सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता सुभाष चंद्र पांडेय ने बताया कि सौंग डैम का निर्माण तेज़ी से किया जा रहा है। कॉफर डैम की टेस्टिंग का काम पूरा हो गया है और जल्द ही नदी को मोड़ने की तैयारी कर कॉफर डैम का निर्माण शुरू किया जाएगा। एप्रोच रोड के साथ ही प्रभावितों के पुनर्वास की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है।