उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में काश्तकारों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने ‘मिलेट पॉलिसी’ के तहत मोटे अनाजों (मिलेट्स) की खेती को बढ़ावा देने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इस नीति का उद्देश्य न केवल किसानों की आय में वृद्धि करना है, बल्कि उत्तराखंड के मोटे अनाजों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना भी है। मंडुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी और चीना जैसे मोटे अनाजों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार कई आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है।
प्रमुख प्रावधान
उत्तराखंड सरकार की इस नीति के तहत किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए व्यापक सहायता दी जा रही है। संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग, कुमाऊं मंडल, पीके सिंह के अनुसार, इस योजना के तहत निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं:
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बीज और उर्वरक पर अनुदान:
किसानों को मोटे अनाज के बीज, उर्वरक, जैव कीटनाशक और जिंक के लिए 80% तक का अनुदान प्रदान किया जा रहा है। यह अनुदान किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करता है, जिससे उत्पादन लागत कम होती है। -
बुवाई के लिए प्रोत्साहन राशि:
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पहले वर्ष: 4,000 रुपये प्रति हेक्टेयर
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दूसरे वर्ष: 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर
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तीसरे वर्ष: 1,500 रुपये प्रति हेक्टेयर
यह वित्तीय सहायता किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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समर्थन मूल्य और मार्केटिंग:
सरकार ने मोटे अनाज के लिए समर्थन मूल्य निर्धारित किया है, जिसके तहत किसानों का उत्पादन खरीदा जाएगा। इसके अतिरिक्त, 300 रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि और 75 रुपये प्रति क्विंटल ढुलाई भाड़ा भी प्रदान किया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले। -
पुरस्कार योजना:
ब्लॉक स्तर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले दो किसानों और समूहों को 10,000 रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। यह पहल किसानों में प्रतिस्पर्धा और उत्साह को बढ़ावा देगी।
योजना का कार्यान्वयन
मिलेट पॉलिसी को दो चरणों में लागू किया जाएगा:
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पहला चरण (2025-26 से 2027-28):
इस चरण में कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले के 6 विकासखंडों और बागेश्वर जिले के 1 विकासखंड में 30,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। -
दूसरा चरण (2028-29 से 2030-31):
इस चरण में प्रत्येक विकासखंड में 40,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर खेती का लक्ष्य रखा गया है।
योजना के लाभ
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आर्थिक सशक्तिकरण: यह योजना किसानों की आय में वृद्धि करेगी और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी।
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पलायन पर रोक: स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ने से पहाड़ी क्षेत्रों से होने वाला पलायन कम होगा।
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मोटे अनाज की पहचान: उत्तराखंड के मोटे अनाजों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान मिलेगी।
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कृषि क्षेत्रफल में वृद्धि: मोटे अनाज का घटता क्षेत्रफल बढ़ेगा, जिससे खाद्य सुरक्षा को बल मिलेगा।
किसानों की प्रतिक्रिया
किसान भास्कर भट्ट ने इस योजना को पहाड़ी किसानों के लिए वरदान बताया। उनके अनुसार, यह न केवल आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि पलायन जैसी गंभीर समस्या को रोकने में भी मदद करेगा।
आवेदन प्रक्रिया
योजना का लाभ उठाने के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। वहां से उन्हें आवश्यक जानकारी और आवेदन प्रक्रिया के बारे में मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
उत्तराखंड सरकार की मिलेट पॉलिसी एक दूरदर्शी कदम है, जो पर्वतीय क्षेत्रों के काश्तकारों के लिए आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी। मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देकर न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और कृषि विरासत को भी वैश्विक मंच पर पहचान मिलेगी। यह योजना सतत विकास और ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।