NTI: आज की डिजिटल दुनिया में साइबर क्राइम एक महामारी की तरह फैल रहा है। जिस तरह कोविड-19 ने हमें बिना किसी रास्ते के छोड़ दिया था, उसी तरह साइबर क्राइम भी अब एक गंभीर चुनौती बन चुका है। खासकर महिलाओं के लिए ऑनलाइन दुनिया में कई खतरे मौजूद हैं, जिनका सामना वे अनजाने में कर रही हैं।
साइबर स्टॉकिंग
साइबर स्टॉकिंग को अक्सर हल्के में लिया जाता है, लेकिन यह किसी भी अपराध की शुरुआत हो सकती है। हाल ही में एक कॉलेज में साइबर स्टॉकिंग पर चर्चा के दौरान एक छात्रा ने पूछा, “क्या किसी का ऑब्जर्व करना भी अपराध है?” जवाब है, हां, अगर यह ऑब्जर्वेशन किसी की निजता का उल्लंघन करता है।
साइबर स्टॉकिंग में कोई व्यक्ति आपके ऑनलाइन व्यवहार को ट्रैक करता है—आप कब, कहां जाते हैं, किससे मिलते हैं, कौन सी तस्वीरें पोस्ट करते हैं। इस जानकारी का उपयोग वह धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग या अन्य गंभीर अपराधों के लिए कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक केस में एक लड़की ने अपनी गोवा ट्रिप की हर जानकारी इंस्टाग्राम पर साझा की। एक अपराधी, जो हाल ही में जेल से छूटा था, ने उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी और मौका पाकर उसके साथ बलात्कार जैसा जघन्य अपराध किया। यह दिखाता है कि आपकी छोटी-सी लापरवाही कितना बड़ा खतरा बन सकती है।
डीपफेक और न्यूड तस्वीरें
आज की उन्नत तकनीक, जैसे डीप न्यूड AI टूल्स, ने साइबर अपराध को और खतरनाक बना दिया है। इन टूल्स में केवल किसी की तस्वीर अपलोड करने से उसकी फर्जी न्यूड तस्वीरें बनाई जा सकती हैं, जो बिल्कुल असली लगती हैं। ऐसी तस्वीरें पोर्नोग्राफी वेबसाइट्स पर अपलोड की जा सकती हैं, जिससे पीड़ित की प्रतिष्ठा और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है।
इसी तरह, अगर आपने कोई वीडियो पोस्ट किया है, तो उसकी आवाज का उपयोग कॉल स्पूफिंग के लिए हो सकता है। अपराधी आपकी आवाज का उपयोग करके आपके परिवार वालों को फोन कर सकते हैं और यह विश्वास दिला सकते हैं कि आप खतरे में हैं। उदाहरण के लिए, वे कह सकते हैं, “आपका बच्चा अस्पताल में है, पैसे भेजें।” यह एक सामान्य स्कैम है, जो लोगों की भावनाओं के साथ खेलता है।
डिजिटल फ्रॉड और स्कैम्स
साइबर अपराधी अक्सर लालच और डर का सहारा लेते हैं। व्हाट्सएप पर आने वाले लिंक्स, जैसे “20% डिस्काउंट” या “80% ऑफ,” अक्सर फर्जी होते हैं। इन लिंक्स पर क्लिक करने से आपका डेटा चोरी हो सकता है या आपके डिवाइस में मैलवेयर इंस्टॉल हो सकता है।
एक अन्य आम स्कैम है डिजिटल अरेस्ट। अपराधी फोन करके दावा करते हैं कि आपका बच्चा ड्रग्स या सेक्स ट्रैफिकिंग के केस में फंसा है। वे दबाव बनाकर पैसे मांगते हैं। ऐसे मामलों में घबराने के बजाय, तुरंत कॉल काटें और अपने बच्चे या उसके दोस्तों से संपर्क करें। भारत में डिजिटल अरेस्ट का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, इसलिए ऐसे कॉल्स पर विश्वास न करें।
वित्तीय धोखाधड़ी
वित्तीय धोखाधड़ी भी साइबर क्राइम का एक बड़ा हिस्सा है। उदाहरण के लिए, एक क्लाइंट के खाते से 30,000 रुपये कट गए, जबकि उन्होंने कोई OTP साझा नहीं किया था। जांच में पता चला कि उनके कार्ड की जानकारी चोरी हो गई थी, जिसका उपयोग अमेरिका में लैपटॉप खरीदने के लिए किया गया।
ऐसे मामलों में तुरंत बैंक को सूचित करें और ट्रांजैक्शन डिस्प्यूट फॉर्म भरें। RBI के जीरो लायबिलिटी नियम के तहत, अगर आप तीन दिनों के भीतर शिकायत दर्ज करते हैं, तो आपका पैसा वापस मिल सकता है। साथ ही, 1930 पर कॉल करें, जो मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स का नंबर है, और cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
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सोशल मीडिया पर सावधानी:
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अपनी लोकेशन और तस्वीरें तुरंत पोस्ट न करें। ट्रिप के बाद ही फोटो अपलोड करें।
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अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें।
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अपनी प्रोफाइल को प्राइवेट रखें।
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लिंक्स और QR कोड्स:
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अनजान लिंक्स पर क्लिक न करें। इन्हें virustotal.com पर चेक करें।
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QR कोड स्कैन करने से पहले सुनिश्चित करें कि वे विश्वसनीय स्रोत से हैं।
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वित्तीय सुरक्षा:
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इंटरनेशनल ट्रांजैक्शंस बंद करवाएं, अगर जरूरत न हो।
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कार्ड का उपयोग करते समय सावधानी बरतें; सुनिश्चित करें कि कोई उसकी फोटो या स्कैन न करे।
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बैंक स्टेटमेंट नियमित रूप से चेक करें।
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डिजिटल अरेस्ट स्कैम:
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ऐसे कॉल्स पर घबराएं नहीं। तुरंत कॉल काटें और परिवार से संपर्क करें।
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अगर कोई पुलिस अधिकारी होने का दावा करता है, तो कहें कि आप थाने में मिलना चाहते हैं।
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न्यूड तस्वीरों का दुरुपयोग:
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मेटा के ‘Take It Down’ पहल का उपयोग करें। यह AI के जरिए आपकी तस्वीरों को स्कैन करता है और अनुचित कंटेंट को हटाने में मदद करता है।
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साइबर क्राइम का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
साइबर क्राइम केवल वित्तीय नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि यह पीड़ितों पर गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी डालता है। उदाहरण के लिए, एक क्लाइंट ने स्टॉक मार्केट स्कैम में अपने पूरे परिवार का पैसा गंवा दिया। इस घटना ने उन्हें इतना आघात पहुंचाया कि वे दोबारा निवेश करने से डरने लगे। साइबर अपराधी हमारी भावनाओं और मनोविज्ञान के साथ खेलते हैं, खासकर वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाते हैं।
साइबर क्राइम से बचने के लिए जागरूकता और सावधानी सबसे जरूरी है। अपनी जानकारी को सुरक्षित रखें, संदिग्ध लिंक्स और कॉल्स से बचें, और किसी भी धोखाधड़ी की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करें। सरकार भी कई कदम उठा रही है, जैसे साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) और cybercrime.gov.in पोर्टल।
आइए, डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहें और एक-दूसरे को जागरूक करें। अगर आपके कोई सवाल हैं, तो कमेंट सेक्शन में पूछें। साथ ही, इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें, ताकि हम सब मिलकर साइबर क्राइम के खिलाफ मजबूत हो सकें।