NTI: भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) का इलाका न केवल सामरिक दृष्टिकोण से संवेदनशील है, बल्कि यह एक जटिल और खतरनाक भौगोलिक क्षेत्र भी है। इस क्षेत्र में आतंकी संगठन जयश-ए-मोहम्मद ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए एक खतरनाक साजिश रची थी—एलओसी के नीचे गुप्त सुरंगों का जाल। इन सुरंगों ने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी की थी, क्योंकि इन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल था। आइए, इन सुरंगों की कहानी, उनकी संरचना, और उनके पीछे की साजिश को समझते हैं।
जयश-ए-मोहम्मद ने एलओसी के नीचे 3 मीटर चौड़ी और 25 मीटर गहरी कई सुरंगें खोद रखी थीं। ये सुरंगें इतनी मजबूत थीं कि इन्हें ढहने से बचाने के लिए बीच-बीच में हल्के सीमेंट का उपयोग किया गया था। इन सुरंगों के प्रवेश और निकास बिंदुओं को बेहद चालाकी से छिपाया जाता था। आतंकी पेड़, झाड़ियां, और प्राकृतिक आवरण का इस्तेमाल करके इन बिंदुओं को इस तरह ढक देते थे कि इन्हें हवाई निगरानी या जमीनी जांच में पकड़ना लगभग असंभव हो जाता था।
ये सुरंगें जम्मू-कश्मीर के कठुआ और सांबा जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष रूप से केंद्रित थीं। इन जिलों की भौगोलिक स्थिति और सीमा पर घनी वनस्पति ने आतंकियों को सुरंग निर्माण में मदद दी। इन सुरंगों का मुख्य उद्देश्य था आतंकियों, हथियारों, और विस्फोटकों को भारत में घुसपैठ कराने के लिए एक गुप्त रास्ता प्रदान करना।
भारतीय सुरक्षा बलों ने कई मौकों पर इन सुरंगों का पता लगाया, लेकिन यह काम आसान नहीं था। जब इन सुरंगों की जांच की गई, तो उनके अंदर से पाकिस्तान निर्मित उत्पाद मिले, जो आतंकियों के पाकिस्तानी कनेक्शन को उजागर करते थे। एक बार कठुआ-सांबा क्षेत्र में पकड़ी गई एक सुरंग से पाकिस्तान के गुजरांवाला में बनी ‘फेंटा’ की बोतल भी बरामद हुई थी। इसके अलावा, खाने-पीने की वस्तुएं, हथियारों की पैकिंग, और अन्य सामान भी मिले,