Tuesday, May 13, 2025
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इस देवी के मंदिर में फूट-फूट कर रोई थीं इंदिरा गांधी !

NTI: हिमाचल प्रदेश की पावन धरती पर मां चामुंडा देवी का मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह कई ऐतिहासिक और रहस्यमयी कहानियों का भी गवाह है। आज हम बात करेंगे उस घटना की, जिसने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को मां चामुंडा के सामने नतमस्तक होने पर मजबूर कर दिया था। यह कहानी है 1980 की, जब एक पुजारी के श्राप और इंदिरा गांधी के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी ने लोगों के बीच मां चामुंडा की महिमा को और बढ़ा दिया।

रद्द हुआ हिमाचल दौरा

23 जून 1980 का दिन भारतीय इतिहास में एक दुखद घटना के लिए दर्ज है, जब इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। मगर इस हादसे से ठीक एक दिन पहले, यानी 22 जून को इंदिरा गांधी को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित चामुंडा देवी मंदिर में दर्शन के लिए आना था। इस दौरे की तैयारियां जोर-शोर से की गई थीं। तत्कालीन मुख्यमंत्री रामलाल ठाकुर सहित हिमाचल सरकार के तमाम बड़े नेता और अधिकारी चामुंडा देवी मंदिर पर इकट्ठा हुए। मंदिर को सजाया गया, सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए, लेकिन ऐन वक्त पर, 20 जून की शाम को इंदिरा गांधी का हिमाचल दौरा रद्द हो गया।

पुजारी का श्राप

वरिष्ठ पत्रकार नीरजा अपनी एक किताब में इस घटना का जिक्र करते हुए बताती हैं कि जब मंदिर के पुजारी को इंदिरा गांधी के दौरे के रद्द होने की खबर मिली, तो उन्होंने बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी। पुजारी ने कहा, “आप इंदिरा गांधी को बता दें कि यह मां चामुंडा का दरबार है। यदि कोई साधारण प्राणी नहीं आ पाता, तो देवी उसे क्षमा कर सकती हैं, लेकिन यदि कोई शासक मां का अपमान करेगा, तो देवी उसे माफ नहीं करेंगी। मां चामुंडा की अवमानना बर्दाश्त नहीं की जा सकती।”

लोगों का मानना है कि पुजारी के इस कथन का असर इतना गहरा था कि अगले ही दिन, 23 जून 1980 को संजय गांधी एक छोटे विमान में उड़ान भर रहे थे। हवा में करतब दिखाने के दौरान उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उनकी मृत्यु हो गई। इस हादसे ने इंदिरा गांधी को झकझोर कर रख दिया। कहा जाता है कि इस घटना के बाद इंदिरा गांधी को अपनी गलती का गहरा एहसास हुआ।

संजय गांधी के जन्मदिन पर

संजय गांधी की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी ने उनके जन्मदिन के अवसर पर चामुंडा देवी मंदिर में दर्शन करने का फैसला किया। जब वह मंदिर पहुंचीं, तो उन्होंने मां चामुंडा की पूजा इतनी तल्लीनता और श्रद्धा से की कि वहां मौजूद पुजारी भी हैरान रह गए। लोगों का कहना है कि इंदिरा गांधी उस दिन मां के सामने फूट-फूट कर रोई थीं। उनकी आंखों में अपने बेटे को खोने का दर्द और मां चामुंडा के प्रति अटूट श्रद्धा साफ झलक रही थी।

आस्था का केंद्र

चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बंजार खड्ड के किनारे स्थित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हिमाचल की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का भी प्रतीक है। माना जाता है कि मां चामुंडा अपने भक्तों की हर पुकार सुनती हैं और उनके दुख-दर्द को हर लेती हैं। इंदिरा गांधी की यह कहानी भी मां चामुंडा की महिमा को और बढ़ाती है।

इंदिरा गांधी और चामुंडा देवी मंदिर की यह कहानी आज भी हिमाचल की सियासत और आस्था के गलियारों में चर्चा का विषय है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि चाहे कोई कितना भी बड़ा शासक क्यों न हो, आस्था और श्रद्धा के सामने सभी को नतमस्तक होना पड़ता है। मां चामुंडा का यह मंदिर आज भी लाखों भक्तों के लिए आशा और विश्वास का प्रतीक है, जहां हर कोई अपने मन की मुराद लेकर आता है।

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