Wednesday, May 14, 2025
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निजी अस्पतालों पर सूचना अधिकार अधिनियम की अनिवार्यता

NTI (देहरादून ): निजी अस्पतालों को अब सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत मरीजों को उपचार से संबंधित जानकारी प्रदान करना अनिवार्य होगा। यह निर्णय उत्तराखंड के राज्य सूचना आयुक्त श्री योगेश भट्ट द्वारा वैलमेड अस्पताल द्वारा एक मरीज को उपचार संबंधी जानकारी देने से इंकार करने के मामले में सुनवाई के दौरान दिया गया।

प्रदेश में निजी अस्पतालों का संचालन The Clinical Establishments (Registration and Regulation) Act, 2010 और The Uttarakhand Clinical Establishments (Registration and Regulation) Rules, 2013 के तहत किया जाता है। इस अधिनियम के अनुसार, प्रत्येक निजी अस्पताल को पंजीकरण कराना अनिवार्य है। पंजीकृत अस्पतालों को मरीजों के चिकित्सा अभिलेखों का रखरखाव करना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए सांख्यिकी जानकारी जिला प्राधिकरण को भेजना आवश्यक है।

इसके अतिरिक्त, यदि निजी अस्पताल सरकार की गोल्डन कार्ड या आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का उपचार करते हैं, तो उन्हें राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकरण कराना होता है। इन योजनाओं के तहत उपचार के लिए भुगतान राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा किया जाता है।

वैलमेड अस्पताल मामला

वैलमेड अस्पताल, जो गोल्डन कार्ड और आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत है, ने एक मरीज को उपचार संबंधी जानकारी देने से इंकार कर दिया। इस पर राज्य सूचना आयोग ने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी को नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि निजी अस्पतालों को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी प्रदान करने से इंकार करने का अधिकार नहीं है।

राज्य सूचना आयुक्त श्री योगेश भट्ट ने निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:

  1. पारदर्शिता का अधिकार: निजी अस्पताल मरीजों को उनके उपचार का संपूर्ण विवरण पूरी पारदर्शिता के साथ प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। मरीज द्वारा स्वयं के उपचार से संबंधित जानकारी मांगने पर अस्पताल इसे देने से इंकार नहीं कर सकते।

  2. Clinical Establishments Act की भूमिका: इस अधिनियम का उद्देश्य अस्पतालों में मरीजों को पारदर्शी और जिम्मेदारीपूर्ण उपचार सुनिश्चित करना है। अधिनियम के तहत स्वास्थ्य विभाग को निजी अस्पतालों पर नियंत्रण का अधिकार है, जिसके अंतर्गत सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी प्रदान करना अनिवार्य है।

  3. राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की जिम्मेदारी: गोल्डन कार्ड या आयुष्मान योजना के तहत उपचार करने वाले निजी अस्पतालों को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के नियमों का पालन करना होगा। प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे अस्पताल सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी प्रदान करें।

  4. मुख्य चिकित्सा अधिकारी की भूमिका: मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 5(4) और Clinical Establishments Act के प्रावधानों का उपयोग करते हुए निजी अस्पतालों से आवश्यक जानकारी प्राप्त कर मरीज को उपलब्ध करानी होगी।

राज्य सूचना आयुक्त ने स्पष्ट किया कि निजी अस्पताल यह दावा नहीं कर सकते कि वे सूचना का अधिकार अधिनियम की परिधि से बाहर हैं। जहां तक स्वास्थ्य विभाग का निजी अस्पतालों पर नियंत्रण है, वहां तक सूचना प्रदान करना अनिवार्य है। विशेष रूप से, गोल्डन कार्ड और आयुष्मान योजना के तहत उपचार करने वाले अस्पतालों को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के माध्यम से मांगी गई जानकारी उपलब्ध करानी होगी।

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को निर्देश दिया गया है कि वे निजी अस्पतालों को पंजीकरण के समय यह स्पष्ट करें कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी देना अनिवार्य है। यह निर्णय न केवल मरीजों के अधिकारों को मजबूत करता है, बल्कि निजी अस्पतालों में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ावा देता है।

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