चौखुटिया: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली ने स्थानीय लोगों का आक्रोश भड़का दिया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपर्याप्त सुविधाओं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के खिलाफ पिछले पांच दिनों से लोग आंदोलनरत हैं। सोमवार को “ऑपरेशन स्वास्थ्य” के तहत जनता ने जोरदार प्रदर्शन किया और सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।
सोमवार को विभिन्न संगठनों, जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों ने आरती घाट पर धरना दिया और एक आम सभा का आयोजन किया। आक्रोशित जनता ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के उच्चीकरण, विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति, अल्ट्रासाउंड मशीन और अन्य आवश्यक संसाधनों की मांग की। इस दौरान आरती घाट से शुरू होकर गनाई, चौखुटिया और चांदीखेत बाजार तक एक आक्रोश रैली निकाली गई। रैली में सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई और शीघ्र स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग उठाई गई।
आम सभा में वक्ताओं ने प्रदेश सरकार पर बार-बार आश्वासनों के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त न करने का आरोप लगाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि चौखुटिया का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र न केवल स्थानीय लोगों बल्कि गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले मरीजों के लिए भी महत्वपूर्ण है। लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण अधिकांश मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। कई बार इलाज के अभाव में मरीजों की मौत तक हो जाती है। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
चौखुटिया के गंगा आरती घाट पर पांचवें दिन भी आमरण और क्रमिक अनशन जारी रहा। पूर्व सैनिक भुवन कठायत का आमरण अनशन पांचवें दिन और बचे सिंह का चौथा दिन था। वहीं, क्रमिक अनशन में जिला पंचायत सदस्य सरस्वती किरौला और पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य अशोक कुमार शामिल रहे।
आक्रोश रैली और प्रदर्शन में क्षेत्रीय विधायक मदन सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, जिला पंचायत सदस्य सरस्वती किरौला, गेवाड़ विकास समिति के अध्यक्ष गजेंद्र नेगी, पूर्व दर्जा मंत्री कुबेर सिंह कठायत, पूर्व प्रमुख मीना कांडपाल, किरण बिष्ट, नंदन संगेला और पूर्व जिला पंचायत सदस्य शिव कुमार सहित कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।
चौखुटिया की जनता ने सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य केंद्र में तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति, अल्ट्रासाउंड मशीन और अन्य आवश्यक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली ने उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया है, और वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

