NTI: बिहार, एक ऐसा राज्य जहां की खबरें अक्सर हैरान करने वाली होती हैं। कभी 60 फीट का ब्रिज चोरी हो जाता है, कभी 2 किलोमीटर की रेलवे पटरी गायब हो जाती है, तो कभी रातों-रात पूरा तालाब ही उड़नछू हो जाता है। लेकिन इस बार बिहार ने कुछ ऐसा किया है, जो चोरी की कहानी नहीं, बल्कि एक अनोखी और मजेदार घटना बन गई है। बात हो रही है बिहार के पूर्णिया जिले की, जहां कुछ बिल्डर्स और रियल एस्टेट ब्रोकर्स ने ऐसा कारनामा कर दिखाया कि लोग दंग रह गए।
पूर्णिया के रहमान नगर में कुछ बिल्डर्स और रियल एस्टेट ब्रोकर्स ने मिलकर एक 60 फीट ऊंचा और 10 फीट लंबा फर्जी ब्रिज बना दिया। जी हां, आपने सही पढ़ा—यह ब्रिज असली नहीं, बल्कि एक इल्यूजन था। इन बिल्डर्स का मकसद था लोगों में यह भ्रम पैदा करना कि इलाके में कोई बड़ा प्रोजेक्ट शुरू होने वाला है। इस फर्जी ब्रिज के जरिए उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि ब्रिज बनने के बाद इस इलाके में प्रॉपर्टी की कीमतें आसमान छूने वाली हैं।
मजे की बात यह है कि इस फर्जी ब्रिज के बारे में न तो स्थानीय लोगों को पूरी जानकारी थी और न ही स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक थी। जब प्रशासन को इस गैरकानूनी हरकत का पता चला, तो वे इसे तोड़ने पहुंचे। लेकिन जैसे ही ब्रिज तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई, स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए और विरोध करने लगे। उनका कहना था, “अरे, अच्छा-खासा ब्रिज बना है, हमारे काम आ रहा है, इसे क्यों तोड़ रहे हो?” यह सुनकर प्रशासन भी हैरान रह गया।
बिहार में ऐसी घटनाएं कोई नई नहीं हैं। कुछ समय पहले मुजफ्फरपुर में भी एक ऐसा ब्रिज बनाया गया था, जिसके आगे-पीछे कोई सड़क ही नहीं थी। यानी, ब्रिज तो बन गया, लेकिन उसका कोई उपयोग नहीं था। इस बार पूर्णिया में बने फर्जी ब्रिज ने भी लोगों को हैरान कर दिया। बिल्डर्स और ब्रोकर्स ने न सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की, बल्कि प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ाने का खेल भी खेला।
इस घटना ने पूर्णिया में हलचल मचा दी है। कुछ लोग इसे बिल्डर्स की चालाकी बता रहे हैं, तो कुछ इसे बिहार की “क्रिएटिविटी” का हिस्सा मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस फर्जी ब्रिज की खूब चर्चा हो रही है। कोई इसे मजाक में ले रहा है, तो कोई इस बात पर गुस्सा जता रहा है कि आखिर प्रशासन को पहले क्यों नहीं पता चला।
बिहार की यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि यहां कुछ भी असंभव नहीं है। चोरी की अजीबो-गरीब कहानियों के बाद अब फर्जी ब्रिज की यह कहानी लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गई है। लेकिन सवाल यह है कि ऐसे गैरकानूनी कामों पर रोक कैसे लगेगी? क्या प्रशासन को और सतर्क होने की जरूरत है? और सबसे बड़ा सवाल—इन बिल्डर्स और ब्रोकर्स के लिए आप क्या कहेंगे? क्या यह उनकी चतुराई थी या फिर लोगों की भोली-भाली भावनाओं के साथ खिलवाड़?
बिहार की यह कहानी न सिर्फ हंसी का कारण बनी है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि विकास के नाम पर ऐसी हरकतें कब तक चलेंगी।