NTI: डीडीहाट तहसील के गोबाराड़ी गांव में एक ऐतिहासिक गुफा का पता चला है, जो कत्यूर राजवंश या बम शासनकाल से जुड़ी हो सकती है। यह गुफा न केवल पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके आसपास के इतिहास और संस्कृति को समझने में भी मददगार साबित हो सकती है। गुफा की खोज ने स्थानीय लोगों और पुरातत्वविदों के बीच उत्साह का माहौल बना दिया है।
काफल हिल की टीम, जिसका नेतृत्व तरूण मेहरा कर रहे थे, गोबाराड़ी गांव से लगी ऊंची चट्टानों पर ट्रेकिंग कर रही थी। इस दौरान उन्हें जंगल में एक गुफा दिखाई दी। यह गुफा लगभग 100 मीटर लंबी है और इसकी दीवारों पर कई प्राचीन चित्र बने हुए हैं। तरूण मेहरा के अनुसार, ये चित्र कत्यूरी शासनकाल या बम शासनकाल से जुड़े हो सकते हैं। गुफा का आकार इतना बड़ा है कि इसमें एक साथ दर्जनों लोग छिप सकते हैं।
गोबाराड़ी गांव का यह क्षेत्र प्राचीन सिल्क रूट का हिस्सा रहा है। सिल्क रूट वह प्राचीन मार्ग था, जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बीच व्यापार होता था। संभवतः इस मार्ग पर यात्रा करने वाले व्यापारियों ने लुटेरों से बचने के लिए इस गुफा का निर्माण कराया होगा। गुफा की कार्बन डेटिंग से इसके सही काल का पता लगाया जा सकेगा, जिससे इसके ऐतिहासिक महत्व को और भी स्पष्ट किया जा सकेगा।
गोबाराड़ी गांव में मिली यह गुफा 100 मीटर लंबी है और इसे तीन भागों में बांटा जा सकता है:
- पहला 30 मीटर हिस्सा: यह हिस्सा संकरा है और करीब ढाई से तीन फुट चौड़ा है। यह संकरा मार्ग गुफा के अंदर जाने वालों को सतर्क करता है।
- अगला 30 मीटर हिस्सा: इस हिस्से में एक कुआं बना हुआ है। यह हिस्सा पहले हिस्से की तुलना में अधिक चौड़ा है और संभवतः यहां पानी की आपूर्ति के लिए इस कुएं का निर्माण किया गया होगा।
- अंतिम 40 मीटर हिस्सा: यह हिस्सा दो से तीन मीटर तक चौड़ा और ऊंचा है। इस हिस्से की निकासी को पत्थरों से पाटा गया है, जो यह संकेत देता है कि यह गुफा किसी विशेष उद्देश्य से बनाई गई होगी।
गुफा के आसपास कुछ पुराने मकानों के खंडहर भी मिले हैं, जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह क्षेत्र कभी बसा हुआ रहा होगा।
पर्यटन की संभावनाएं
गुफा की खोज की जानकारी मिलते ही कई स्थानीय लोग इसे देखने पहुंचे। गोबाराड़ी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि गुफा के पास ही एक प्राचीन शिव मंदिर भी स्थित है। लोगों को उम्मीद है कि इस गुफा के प्रकाश में आने के बाद इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह गुफा न केवल इतिहास प्रेमियों के लिए, बल्कि साहसिक पर्यटन में रुचि रखने वालों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बन सकती है।
भविष्य की संभावनाएं
पुरातत्व विभाग की टीम गुफा का निरीक्षण करने गांव पहुंचेगी। इस गुफा के अध्ययन से कई ऐतिहासिक तथ्य सामने आ सकते हैं। गुफा की दीवारों पर बने चित्रों और संरचना का विस्तृत अध्ययन करने से यह पता चल सकेगा कि इसका निर्माण किस उद्देश्य से किया गया था और यह किस काल से संबंधित है। इसके अलावा, गुफा के आसपास के क्षेत्र में और भी पुरातात्विक खोजें हो सकती हैं, जो इस क्षेत्र के इतिहास को समझने में मददगार साबित होंगी।
गोबाराड़ी गांव में मिली यह ऐतिहासिक गुफा न केवल पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सिल्क रूट के रहस्यों को उजागर करने में भी मददगार साबित हो सकती है। इस गुफा के अध्ययन से हमें प्राचीन काल के व्यापार, संस्कृति और जीवनशैली के बारे में नई जानकारी मिल सकती है। साथ ही, यह गुफा पर्यटन के क्षेत्र में भी नई संभावनाएं खोल सकती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है। गोबाराड़ी गांव की यह गुफा हमारे अतीत की एक रहस्यमयी कड़ी है, जिसे समझने और संरक्षित करने की आवश्यकता है।