Friday, June 20, 2025
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चमोली में अलकनंदा नदी पर राफ्टिंग अब रोमांचक केंद्र बनकर उभरा

NTI (चमोली): उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी पर राफ्टिंग एक नया रोमांच बनकर उभरा है। पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस साहसिक गतिविधि ने पिछले तीन वर्षों में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की है। जहां तीन साल पहले केवल 200-250 लोग इस गतिविधि में शामिल हुए थे, वहीं इस साल यह संख्या 700-800 तक पहुंच गई है। अब तक 1,500 से अधिक लोग, जिनमें चार धाम यात्री भी शामिल हैं, इस रोमांचक अनुभव का हिस्सा बन चुके हैं।

पर्यटन विभाग ने तीन साल पहले चमोली जिले में अलकनंदा नदी के 5 किलोमीटर के खंड में राफ्टिंग शुरू की थी। इस पहल का उद्देश्य साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना और उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता को दुनिया के सामने लाना था। शुरुआती वर्षों में सीमित संख्या में लोग इस गतिविधि में शामिल हुए, लेकिन जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ी, राफ्टिंग का क्रेज तेजी से फैल गया।

पर्यटन विभाग ने साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए देवलीबगड़ में राफ्टिंग और कैंपिंग की सुविधाएं विकसित की हैं। अलकनंदा रिवर राफ्टिंग कंपनी को तीन वर्षों के लिए अलकनंदा नदी में राफ्टिंग संचालित करने का परमिट प्रदान किया गया है। यह कंपनी न केवल राफ्टिंग का आयोजन करती है, बल्कि सुरक्षा और प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देती है।

चमोली जिला, बद्रीनाथ और अन्य चार धाम तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार है। राफ्टिंग ने चार धाम यात्रियों के लिए एक नया आयाम जोड़ा है। कई यात्री अपनी आध्यात्मिक यात्रा के साथ इस साहसिक गतिविधि को जोड़ रहे हैं, जिससे उनकी यात्रा और भी रोमांचक हो रही है। राफ्टिंग संचालकों के अनुसार, चार धाम यात्रियों की भागीदारी ने इस गतिविधि की लोकप्रियता को और बढ़ाया है।

राफ्टिंग और कैंपिंग की सुविधाओं ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। स्थानीय गाइड, राफ्टिंग प्रशिक्षक, और कैंप संचालकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं। इसके अलावा, पर्यटकों की बढ़ती संख्या ने स्थानीय व्यवसायों, जैसे होटल और रेस्तरां, को भी लाभ पहुंचाया है। उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र में यह पहल एक मील का पत्थर साबित हो रही है।

पर्यटन विभाग और राफ्टिंग संचालकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में राफ्टिंग की लोकप्रियता और बढ़ेगी। अधिक से अधिक लोग इस साहसिक गतिविधि का हिस्सा बनना चाहेंगे। इसके लिए बेहतर बुनियादी ढांचे, सुरक्षा उपायों, और प्रचार की आवश्यकता है। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सतत पर्यटन को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण होगा।

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