NTI (मोहन भुलानी): भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स ने खेल प्रेमियों के जुनून को एक विशाल आर्थिक मंच में बदल दिया है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से लेकर इंग्लिश प्रीमियर लीग (ईपीएल), हॉकी, और फुटबॉल तक, ड्रीम11, माय11सर्कल, और एमपीएल जैसे फैंटेसी प्लेटफॉर्म्स ने करोड़ों लोगों को मेगा विनर बनने का सपना दिखाया है। लेकिन इस चकाचौंध के पीछे एक जटिल वित्तीय तंत्र काम करता है, जिसमें प्रशंसक, सरकारें, सेलिब्रिटी, क्रिकेट बोर्ड, और फैंटेसी ऐप्स शामिल हैं। अगर केंद्र और राज्य सरकारें, बीसीसीआई, क्रिकेटर, सेलिब्रिटी, और फैंटेसी ऐप्स सभी मोटा पैसा कमा रहे हैं, तो सवाल उठता है: यह पैसा आ कहां से रहा है? आइए, इसकी पड़ताल करें।
फैंटेसी स्पोर्ट्स : मेगा इवेंट
कल्पना करें, एक हाई-प्रोफाइल क्रिकेट मैच, जैसे आईपीएल के दौरान एक फैंटेसी कॉन्टेस्ट। इसमें 1.5 करोड़ लोग हिस्सा लेते हैं, और प्रत्येक की एंट्री फीस ₹49 है। इससे कुल ₹73.5 करोड़ जमा होते हैं। इस राशि का बंटवारा कुछ इस तरह होता है:
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सरकारी कर: लगभग ₹3.28 करोड़ (28% जीएसटी) केंद्र और राज्य सरकारों को जाता है। इसके अलावा, जीत की राशि पर 30% टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) भी लगता है, जिससे सरकार की आय और बढ़ती है।
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फैंटेसी प्लेटफॉर्म्स: प्लेटफॉर्म्स 10-20% फीस के रूप में करीब ₹10.58 करोड़ रखते हैं, जो उनके संचालन, मार्केटिंग, और मुनाफे के लिए उपयोग होता है।
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इनामी राशि: बाकी राशि, कर और प्लेटफॉर्म फीस कटने के बाद, विजेताओं में बांटी जाती है, जिसमें शीर्ष विजेता अक्सर करोड़ों रुपये जीतते हैं।
यह सिर्फ एक मैच के एक कॉन्टेस्ट की बात है। आईपीएल में कम से कम 74 मैच होते हैं, जबकि क्रिकेट वर्ल्ड कप में 48 मैच। साल भर में क्रिकेट के अलावा फुटबॉल (ईपीएल, आईएसएल), हॉकी, कबड्डी, और अन्य खेलों के लिए हजारों कॉन्टेस्ट आयोजित होते हैं। इनसे होने वाली कुल आय हजारों करोड़ रुपये में पहुंचती है।
कौन कितना कमा रहा है?
फैंटेसी स्पोर्ट्स का आर्थिक ढांचा एक सुचारू मशीन की तरह काम करता है, जिसमें कई हितधारक मोटा मुनाफा कमा रहे हैं:
1. केंद्र और राज्य सरकारें
फैंटेसी स्पोर्ट्स से सबसे बड़ा लाभ सरकारों को हो रहा है, मुख्य रूप से करों के जरिए:
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जीएसटी: हर जमा राशि पर 28% जीएसटी लगता है। उदाहरण के लिए, ₹73.5 करोड़ के कॉन्टेस्ट में ₹3.28 करोड़ जीएसटी के रूप में सरकार को मिलता है। रोजाना लाखों यूजर्स की भागीदारी से यह राशि अरबों में पहुंचती है।
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विजेता पर टीडीएस: आयकर अधिनियम की धारा 115BBJ के तहत, जीत पर 30% टीडीएस काटा जाता है, बिना किसी न्यूनतम सीमा के। 2023 में, आईपीएल के दौरान फैंटेसी इंडस्ट्री ने ₹2,800 करोड़ से अधिक की आय उत्पन्न की, जिसमें से बड़ा हिस्सा सरकार को कर के रूप में मिला।
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राज्य सरकारें: जीएसटी केंद्र और राज्यों के बीच बंटता है, जिससे महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों को भारी राजस्व मिलता है।
2. फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म्स
ड्रीम11, माय11सर्कल, और एमपीएल जैसे प्लेटफॉर्म्स इस इकोसिस्टम के सूत्रधार हैं। उनकी आय के स्रोत हैं:
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प्लेटफॉर्म फीस: एंट्री फीस का 10-20%, यानी हमारे उदाहरण में ₹10.58 करोड़, प्लेटफॉर्म्स के पास रहता है।
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प्रायोजन और विज्ञापन: ये प्लेटफॉर्म्स विराट कोहली, रोहित शर्मा, और एमएस धोनी जैसे क्रिकेटरों और सेलिब्रिटीज से विज्ञापन करवाते हैं। 2023 में, आईपीएल के दौरान फैंटेसी प्लेटफॉर्म्स ने ₹2,900–3,100 करोड़ की आय की, जिसमें से 35-50% उनकी वार्षिक आय का हिस्सा था।
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टियर 2 और उससे आगे का विस्तार: 50% से अधिक यूजर्स टियर 2 शहरों से और 30% छोटे कस्बों से हैं, जो इंटरनेट की बढ़ती पहुंच से संभव हुआ। प्रति यूजर औसत आय 2022 में ₹410 से बढ़कर 2023 में ₹440 हो गई।
3. बीसीसीआई और क्रिकेट बोर्ड
दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड, बीसीसीआई, जिसकी नेटवर्थ $2.25 बिलियन है, फैंटेसी स्पोर्ट्स से अप्रत्यक्ष रूप से लाभ कमाता है:
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मीडिया राइट्स और लाइसेंसिंग: फैंटेसी प्लेटफॉर्म्स आईपीएल टीमों के नाम, खिलाड़ियों के डेटा, और मैच जानकारी के लिए बीसीसीआई से राइट्स खरीदते हैं। हालांकि सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, ये सौदे बीसीसीआई की FY 2024 में ₹20,686 करोड़ की आय में योगदान देते हैं, जिसमें आईपीएल मीडिया राइट्स (2023-27 के लिए ₹48,390 करोड़) बड़ा हिस्सा हैं।
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प्रायोजन: आईपीएल की विशाल दर्शक संख्या (46 करोड़ से अधिक) भारी प्रायोजन आकर्षित करती है, जिसे बीसीसीआई फ्रैंचाइज़ी के साथ साझा करता है। उदाहरण के लिए, टाटा संस ने पांच साल के लिए ₹2,500 करोड़ में आईपीएल टाइटल राइट्स हासिल किए।
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फ्रैंचाइज़ी फीस: बीसीसीआई फ्रैंचाइज़ी की आय का 20% और सेंट्रल पूल की कमाई का 50% लेता है। 2023 में, आईपीएल ने बीसीसीआई के लिए ₹11,769 करोड़ की आय दी, जिसमें ₹5,120 करोड़ का अधिशेष था।
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खिलाड़ी वेतन: हालांकि यह फैंटेसी स्पोर्ट्स से सीधे जुड़ा नहीं है, लेकिन आईपीएल की वित्तीय सफलता, जो फैंटेसी प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से फैन इंगेजमेंट से बढ़ती है, खिलाड़ियों के उच्च वेतन को समर्थन देती है। उदाहरण के लिए, भारतीय खिलाड़ी प्रति टेस्ट ₹15 लाख, प्रति वनडे ₹6 लाख, और प्रति टी20आई ₹3 लाख कमाते हैं, साथ ही आईपीएल अनुबंधों से करोड़ों रुपये।
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ब्रांड वैल्यू: फैंटेसी ऐप्स से मिलने वाली दृश्यता खिलाड़ियों की मार्केटेबिलिटी को बढ़ाती है, जिससे अधिक प्रायोजन और व्यावसायिक अवसर मिलते हैं।
पैसा कहां से आ रहा है?
जब सरकारें, प्लेटफॉर्म्स, बीसीसीआई, क्रिकेटर, और सेलिब्रिटी सभी मोटा पैसा कमा रहे हैं, तो सवाल उठता है: यह पैसा आ कहां से रहा है? जवाब है, भारत के लाखों-करोड़ों प्रशंसकों से:
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यूजर भागीदारी: 2023 आईपीएल में 6.1 करोड़ यूजर्स ने फैंटेसी स्पोर्ट्स खेला, जो इस इकोसिस्टम का प्राथमिक राजस्व स्रोत हैं। प्रत्येक यूजर कुछ रुपये से लेकर हजारों रुपये तक की एंट्री फीस देता है, जो सामूहिक रूप से अरबों रुपये बनाता है। उदाहरण के लिए, एक आईपीएल मैच का ₹73.5 करोड़ पूरी तरह यूजर फीस से आता है।
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फैन का जुनून: भारत में क्रिकेट एक भावना है, और फैंटेसी स्पोर्ट्स इसका लाभ उठाते हैं, प्रशंसकों को मैचों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का मौका देकर। करोड़ों रुपये जीतने का वादा (जैसे ड्रीम11 के मेगा कॉन्टेस्ट) भागीदारी को बढ़ाता है, भले ही केवल कुछ ही बड़े विजेता बनें।
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डिजिटल पहुंच: टियर 2 शहरों से 50% और छोटे कस्बों से 30% यूजर्स के साथ, भारत की बढ़ती इंटरनेट पहुंच (2024 में 90 करोड़ यूजर्स) ने फैंटेसी स्पोर्ट्स मार्केट को विस्तार दिया। सस्ते स्मार्टफोन और डेटा प्लान ने कॉन्टेस्ट में शामिल होना आसान बना दिया।
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वैश्विक खेल लीग: आईपीएल के अलावा, फैंटेसी प्लेटफॉर्म्स ईपीएल, एनएचएल, एनबीए, और अन्य लीग्स को कवर करते हैं, जिससे भारत के विविध खेल प्रेम का लाभ उठाया जाता है। इससे राजस्व पूल क्रिकेट से आगे बढ़ता है।
जोखिम भरा दांव?
फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री कई हितधारकों के लिए लाभकारी है:
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सरकारें बिना प्रत्यक्ष निवेश के अरबों रुपये करों से कमाती हैं।
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प्लेटफॉर्म्स यूजर इंगेजमेंट और प्रायोजन से मुनाफा कमाते हैं।
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बीसीसीआई आईपीएल की लोकप्रियता से अपनी वित्तीय ताकत बढ़ाता है।
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क्रिकेटर और सेलिब्रिटी आकर्षक विज्ञापनों से कमाते हैं।
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प्रशंसक मनोरंजन और जीवन बदलने वाली जीत का मौका पाते हैं।
हालांकि, कुछ चिंताएं भी हैं:
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यूजर्स के लिए वित्तीय जोखिम: 28% जीएसटी, 30% टीडीएस, और 10-20% प्लेटफॉर्म फीस के साथ, अधिकांश यूजर्स के लिए मुनाफा कमाने की संभावना कम है। एक्स पर पोस्ट्स ने फैंटेसी स्पोर्ट्स को “टैक्स ट्रैप” करार दिया है, क्योंकि यूजर्स को नुकसान उठाना पड़ता है।
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नशा और जुआ की चिंता: आलोचकों का तर्क है कि स्किल-बेस्ड होने के बावजूद, फैंटेसी स्पोर्ट्स नशे की लत को बढ़ावा दे सकता है, खासकर युवा यूजर्स में जो बड़े पुरस्कारों का पीछा करते हैं।
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कर का बोझ: 28% जीएसटी और 30% टीडीएस ने अत्यधिक कराधान पर बहस छेड़ दी है, जो इंडस्ट्री के विकास को रोक सकता है। ईजीएफ, एफआईएफएस, और एआईजीएफ जैसे उद्योग निकायों ने सरकार से इन दरों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री एक वित्तीय ताकत है, जो लाखों प्रशंसकों के जुनून से संचालित है। एक आईपीएल मैच से ₹73.5 करोड़ से लेकर 2023 आईपीएल में ₹2,900–3,100 करोड़ की आय तक, पैसा यूजर्स से सरकारों, प्लेटफॉर्म्स, बीसीसीआई, और सेलिब्रिटीज तक पहुंचता है।