NTI: मेघालय से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है! 4000 टन कोयला दो डिपो से अचानक गायब हो गया। जब हाईकोर्ट ने सवाल किया कि कोयला कहाँ गया, तो मेघालय के मंत्री का जवाब सुनकर आप दंग रह जाएंगे- “शायद बारिश ले गई!” जी हाँ, यह कोई मजाक या कॉमेडी शो नहीं, बल्कि एक मंत्री का आधिकारिक बयान है। मंत्री जी का कहना है कि मेघालय में देश की सबसे ज्यादा बारिश होती है, और हो सकता है कि कोयला बहकर बांग्लादेश चला गया हो! उनका बयान है, “मैं यह नहीं कह रहा कि कोयला चोरी हुआ, लेकिन बारिश में कुछ भी हो सकता है।”
वाह! क्या जवाब है! मतलब, अब कोई सवाल पूछे, तो बस कह दो- “बारिश ले गई!” सवाल यह भी है कि क्या 4000 टन कोयला कोई चीनी है, जो पानी में घुल गया?यह मामला सिर्फ एक बयान तक सीमित नहीं है। यह एक गंभीर कोयला घोटाले की ओर इशारा करता है। राजाजू और डायंग नगन गांवों में स्थित डिपो से कोयले का कोई निशान नहीं मिला। शक है कि यह कोयला अवैध खनन या परिवहन के जरिए गायब किया गया। लेकिन सरकार का कहना है, “हमें कोई डिटेल्स नहीं मिली, जांच चल रही है।”जरा सोचिए, जब एक आम आदमी 1 किलो राशन लेने जाता है, तो उससे आधार कार्ड से लेकर OTP तक पूछा जाता है। लेकिन 4000 टन कोयला गायब हो जाए, तो जवाब मिलता है- “बारिश बहा ले गई!” क्या यही है हमारा सिस्टम?
क्या यही है जवाबदेही? मंत्री जी ने कहा, “मेघालय में भारी बारिश होती है। बाढ़ का पानी असम से होते हुए बांग्लादेश तक जाता है। हो सकता है कोयला भी बह गया हो।” लेकिन सवाल यह है- क्या यह बयान सिर्फ मासूमियत है, या बारिश के बहाने कुछ बड़ा छुपाया जा रहा है? क्या सचमुच 4000 टन कोयला नदियों के रास्ते बांग्लादेश पहुंच गया?जांच से सच सामने आएगा, लेकिन तब तक अगर आपका मोबाइल या वॉलेट गायब हो जाए, तो बस कह दीजिए- “शायद बारिश ले गई!” दोस्तों, अगर यह खबर आपको चौंकाने वाली लगी, तो इसे जरूर शेयर करें, ताकि हर कोई जाने कि कैसे 4000 टन कोयला “बारिश में घुल गया!”

