NTI: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टरों और टेक्नीशियन की कमी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। हाल ही में विधानसभा बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे को फिर से उठाया गया, जिस पर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने जवाब दिया।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। विधानसभा बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने बताया कि पिथौरागढ़ जिले सहित अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टरों और टेक्नीशियन की कमी के कारण जनता को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने इस सवाल का जवाब देते हुए बताया कि राज्य में कुल 2,881 चिकित्सकों के पद हैं, जिनमें से 2,531 डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि, 350 पद खाली हैं, जिनमें से 276 पद बैकलॉग के हैं। इन पदों को भरने के लिए पहले ही दो बार विज्ञप्ति जारी की जा चुकी है, और तीसरी विज्ञप्ति जल्द ही जारी की जाएगी।
पर्वतीय क्षेत्रों की स्थिति चिंताजनक
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और भी गंभीर है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कुल 1,896 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 1,182 स्थाई चिकित्सक और 716 बॉन्ड और संविदा के तहत काम कर रहे हैं। पिथौरागढ़ जिले में चिकित्सकों के कुल 174 पद स्वीकृत हैं, लेकिन केवल 84 स्थाई और 45 बॉन्ड या संविदा के तहत काम कर रहे हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी एक गंभीर समस्या है।
स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य में लगभग 48 से 50 फीसदी स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी है। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने 400 डॉक्टर्स को पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) करने के लिए भेजा है। पीजी करने वाले डॉक्टर्स का आधा खर्च राज्य सरकार वहन करती है। हालांकि, पीजी करने के लिए गए डॉक्टर्स की वजह से प्रदेश में डॉक्टर्स की कमी हुई है, लेकिन पीजी पूरा करने के बाद ये डॉक्टर्स अपनी सेवाएं देना शुरू कर देंगे।
टेक्नीशियन की कमी बनी बड़ी समस्या
उत्तराखंड में न केवल डॉक्टर्स बल्कि टेक्नीशियन की कमी भी एक गंभीर समस्या है। राज्य में टेक्नीशियन के चार प्रकार के पद हैं: लैब टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नीशियन, ईसीजी टेक्नीशियन और ओटी टेक्नीशियन।
- लैब टेक्नीशियन के कुल 343 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 156 अस्थाई और 235 आउटसोर्स और एनएचएम के तहत काम कर रहे हैं।
- एक्स-रे टेक्नीशियन के कुल 165 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 68 स्थाई और 26 आउटसोर्स या एनएचएम के तहत काम कर रहे हैं।
- ईसीजी टेक्नीशियन के कुल 19 पद स्वीकृत हैं, लेकिन केवल 10 कर्मचारी काम कर रहे हैं।
- ओटी टेक्नीशियन के कुल 10 पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक भी पद अभी तक भरा नहीं जा सका है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि टेक्नीशियन के पदों को भरने की कवायद चल रही है और जल्द ही 34 टेक्नीशियन प्रदेश को मिल जाएंगे। इनमें से सबसे पहले मुनस्यारी और धारचूला क्षेत्र में टेक्नीशियन भेजे जाएंगे। सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले रही है। पीजी करने वाले डॉक्टर्स की वापसी के बाद उन्हें धारचूला और मुनस्यारी जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। इसके अलावा, ओटी टेक्नीशियन के पदों को भरने के लिए सेवा नियमावली प्रख्यापित होने के बाद कार्रवाई शुरू की जाएगी।
उत्तराखंड में डॉक्टरों और टेक्नीशियन की कमी एक गंभीर समस्या है, जिसका सीधा प्रभाव जनता के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। हालांकि, सरकार इस समस्या को दूर करने के लिए प्रयासरत है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य के हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।