Tuesday, February 11, 2025
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रेणु सांगवान: 9 गायों से शुरू कर 3 करोड़ के डेयरी कारोबार तक का सफर

NTI (Mohan Bhulani): हरियाणा के झज्जर जिले के खरमाण गांव की रहने वाली रेणु सांगवान (Renu Sangwan) ने डेयरी फार्मिंग में एक मिसाल कायम की है। 2017 में सिर्फ 9 देसी गायों के साथ शुरू हुआ उनका सफर आज 280 से अधिक गायों और 3 करोड़ रुपये सालाना कमाई तक पहुंच चुका है। उनका फार्म “गोकुल फार्म श्रीकृष्ण गोधाम” न केवल भारत में बल्कि 24 देशों में अपने उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है।

रेणु सांगवान ने अपने पति कृष्ण पहलवान का सपना पूरा करने के लिए डेयरी फार्मिंग शुरू की। पति के निधन के बाद उन्होंने वेटरनरी कोर्स किया और अपने बेटे डॉ. विनय सांगवान के साथ मिलकर इस क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने देसी नस्लों जैसे साहीवाल, गिर, राठी और थारपारकर पर भरोसा जताया, जो औषधीय गुणों वाले पौष्टिक दूध के लिए जानी जाती हैं।शुरुआत में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे संसाधनों की कमी और गायों के स्वास्थ्य का प्रबंधन। लेकिन रेणु ने नियमित टीकाकरण, संतुलित आहार और स्वच्छता पर ध्यान देकर इन समस्याओं का समाधान निकाला।

डेयरी फार्मिंग में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर इसे एक आदर्श मॉडल बनाया। उनके फार्म में स्वचालित दूध दुहने की मशीनें, उन्नत सफाई उपकरण और चारा तैयार करने वाली मशीनें लगाई गई हैं। इन तकनीकों ने उनकी दक्षता बढ़ाई और लागत को कम किया।फार्म पर देसी बैलों के वीर्य उत्पादन और बिक्री का काम भी होता है, जिससे नस्ल सुधार में मदद मिलती है। इसके अलावा, उनके फार्म पर उत्पादित घी, पनीर और च्यवनप्राश जैसे उत्पाद वैदिक विधियों से तैयार किए जाते हैं, जो भारत समेत 24 देशों में निर्यात किए जाते हैं।

डेयरी फार्म प्रतिदिन करीब 800 लीटर दूध का उत्पादन करता है। यह दूध दिल्ली और गुरुग्राम जैसे प्रमुख बाजारों में 120 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचा जाता है। उनके द्वारा उत्पादित घी ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों में भी निर्यात किया जाता है।डेयरी उत्पादों की उच्च गुणवत्ता और विविधता ने उनके कारोबार को 2023-24 वित्तीय वर्ष में 3 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया है।

रेणु सांगवान की सफलता का सबसे बड़ा सीक्रेट देसी गायों पर भरोसा, आधुनिक तकनीकों का उपयोग और उनकी मेहनत व लगन है। उन्होंने 2017 में सिर्फ 9 देसी गायों से शुरुआत की और आज उनके फार्म “गोकुल फार्म श्रीकृष्ण गोधाम” में 280 से अधिक गायें हैं। उनकी सफलता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

साहीवाल, गिर, राठी और थारपारकर जैसी देसी नस्लों को चुना, जो औषधीय गुणों से भरपूर और पोषणयुक्त दूध के लिए जानी जाती हैं। इन नस्लों को बनाए रखना हाइब्रिड गायों की तुलना में किफायती है और यह उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रदान करती हैं। केवल दूध उत्पादन तक सीमित न रहते हुए घी, पनीर, च्यवनप्राश जैसे उत्पाद तैयार किए। उनके द्वारा वैदिक बिलोना विधि से तैयार घी की मांग भारत समेत 24 देशों में है। यह डायवर्सिफिकेशन उनके व्यवसाय को तेजी से बढ़ाने में सहायक साबित हुआ । उन्होंने अपने बेटे डॉ. विनय सांगवान के साथ मिलकर फार्म पर स्वचालित दूध दुहने की मशीनें और उन्नत सफाई उपकरण लगाए।

इसके अलावा, देसी बैलों के वीर्य उत्पादन और बिक्री ने नस्ल सुधार में मदद की। इन तकनीकों ने उत्पादन क्षमता बढ़ाई और गुणवत्ता सुनिश्चित की ।  गायों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी। नियमित टीकाकरण, संतुलित आहार और स्वच्छता पर ध्यान देकर उन्होंने बीमारियों को रोका और उत्पादन में निरंतरता बनाए रखी। यह उनके फार्म की सफलता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। शुरुआती दिनों में संसाधनों की कमी और अन्य कठिनाइयों के बावजूद रेणु ने हार नहीं मानी। अपने पति कृष्ण पहलवान के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने वेटरनरी कोर्स किया और अपने बेटे के साथ मिलकर फार्म को सफल बनाया ।

“गोकुल फार्म श्रीकृष्ण गोधाम” का सबसे अधिक मांग में रहने वाला उत्पाद A2 देसी गाय का घी है। यह घी वैदिक बिलोना विधि से तैयार किया जाता है, जो इसे पोषण और शुद्धता के लिए खास बनाता है। इस घी की मांग न केवल भारत में बल्कि 24 देशों में भी है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जर्मनी और अमेरिका जैसे प्रमुख देश शामिल हैं ।

  1. पोषण और औषधीय गुण: देसी नस्लों (साहीवाल, गिर, राठी, थारपारकर) के दूध से बने इस घी में औषधीय गुण होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनाते हैं।
  2. शुद्धता और गुणवत्ता: पारंपरिक विधियों का उपयोग इसे उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद बनाता है।
  3. वैश्विक मांग: इसकी शुद्धता और पारंपरिक निर्माण प्रक्रिया के कारण यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लोकप्रिय है।

“गोकुल फार्म श्रीकृष्ण गोधाम” की उत्पादों की मांग को बढ़ावा देने के लिए उनकी विशेष मार्केटिंग रणनीतियां उनकी सफलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी रणनीतियों में निम्नलिखित प्रमुख पहल शामिल हैं:

  • रेणु सांगवान ने अपने उत्पादों को उच्च गुणवत्ता और पारंपरिक विधियों के आधार पर तैयार किया। उदाहरण के लिए, उनका A2 देसी घी वैदिक बिलोना विधि से बनाया जाता है, जो इसे पोषण और शुद्धता के लिए खास बनाता है। इस गुणवत्ता ने उनके ब्रांड को भारत और 24 अन्य देशों में लोकप्रिय बनाया।
  •  उनके उत्पाद, जैसे घी, पनीर और च्यवनप्राश, भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों में निर्यात किए जाते हैं। यह वैश्विक पहुंच उनकी मार्केटिंग रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • रेणु सांगवान और उनके बेटे ने अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग किया। उन्होंने अपने फार्म की कहानी और उत्पादों की विशेषताओं को ऑनलाइन साझा करके ग्राहकों का विश्वास जीता।
  • उन्होंने अपने उत्पादों को दिल्ली, गुरुग्राम जैसे प्रीमियम बाजारों में बेचा, जहां ग्राहक उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों के लिए अधिक कीमत देने को तैयार रहते हैं। उनके दूध की कीमत 120 रुपये प्रति लीटर तक है, जो बाजार में प्रीमियम दर मानी जाती है।
  • उत्पादों की आकर्षक ब्रांडिंग और पैकेजिंग ने ग्राहकों को आकर्षित करने में मदद की। इससे उनके उत्पाद न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धा कर सके।
  • रेणु सांगवान ने अपने फार्म के उत्पादों को विश्वसनीय बनाने के लिए गुणवत्ता प्रमाणन (जैसे एगमार्क) और पारंपरिक विधियों का उपयोग किया। इससे ग्राहकों में उनके ब्रांड के प्रति भरोसा बढ़ा।
  • उन्होंने दूध उत्पादन तक सीमित न रहते हुए घी, पनीर, च्यवनप्राश जैसे विविध उत्पाद बनाए। यह डायवर्सिफिकेशन उनकी आय बढ़ाने और ग्राहकों की मांग पूरी करने में सहायक रहा।
  • रेणु सांगवान की संघर्षपूर्ण यात्रा और सफलता की कहानी को मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर साझा किया गया। यह कहानी ग्राहकों को जोड़ने और ब्रांड की पहचान बनाने में मददगार साबित हुई।इन रणनीतियों ने न केवल उनके फार्म की बिक्री बढ़ाई बल्कि “गोकुल फार्म श्रीकृष्ण गोधाम” को एक प्रेरणादायक मॉडल बना दिया, जिससे अन्य किसान भी सीख सकते हैं।
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