NTI (मोहन भुलानी): एक फेसबुक फ्रेंड रिक्वेस्ट, जो देखने में सामान्य लगती थी, ने रूस में भारतीय दूतावास में काम करने वाले अधिकारी सत्येंद्र सिवाल को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के सोशल मीडिया हनीट्रैप में फंसा दिया। इस केस ने न केवल भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को खतरे में डाला, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर दुश्मन देश संवेदनशील जानकारियाँ हासिल कर रहे हैं।
सत्येंद्र सिवाल
उत्तर प्रदेश के हापुर जिले के शाह मोइद्दीनपुर गाँव में रहने वाले सत्येंद्र सिवाल का परिवार साधारण था। उनके माता-पिता, छोटा भाई बंटी, और दो बहनें (जिनकी शादी हो चुकी थी) परिवार का हिस्सा थे। बंटी SSC की तैयारी कर रहा था, प्रेरित अपने बड़े भाई सत्येंद्र से, जिन्होंने SSC CGL परीक्षा पास कर दिल्ली में विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) में नौकरी हासिल की थी।
सत्येंद्र बचपन से पढ़ाई में मेधावी थे। गाँव के स्कूल से पाँचवीं तक पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने धौलाना के नवोदय विद्यालय में 12वीं पूरी की। फिर मेरठ के एक कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। SSC CGL पास करने के बाद, उन्हें विदेश मंत्रालय में नियुक्ति मिली। सब कुछ ठीक चल रहा था, जब तक 2021 में उनकी जिंदगी ने नया मोड़ नहीं लिया।
रूस में नियुक्ति
2021 में सत्येंद्र को विदेश मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ सिक्योरिटी के तहत डेपुटेशन पर रूस भेजा गया। मंत्रालय की नीति के अनुसार, सिक्योरिटी असिस्टेंट्स को तीन साल के डेपुटेशन में कम से कम दो साल विदेश में काम करना होता है, ताकि भारतीय मिशनों की सुरक्षा में योगदान दे सकें। सत्येंद्र को मॉस्को में भारतीय दूतावास में इंडिया बेस्ड सिक्योरिटी असिस्टेंट (IBSA) की भूमिका मिली। परिवार में खुशी थी, और सत्येंद्र ने मॉस्को में काम शुरू किया। शुरुआती दिन सहकर्मियों के साथ तालमेल बनाने में बीते, और उनकी जिंदगी पटरी पर थी।
फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट
सत्येंद्र की फेसबुक प्रोफाइल पर लिखा था, “I am working in Foreign Ministry and living in Moscow.” यह जानकारी सार्वजनिक थी, जो संवेदनशील पदों पर काम करने वालों के लिए जोखिम भरी हो सकती है। कुछ समय बाद उन्हें पूजा मेहरा नाम की एक लड़की से फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली। प्रोफाइल में लिखा था कि पूजा कनाडा में रहती हैं, लेकिन फिलहाल भारत के बोर में हैं और इंटरनेशनल रिलेशंस पर रिसर्च करती हैं। आकर्षक तस्वीरों और प्रोफाइल ने सत्येंद्र का ध्यान खींचा, और उन्होंने रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली।
बातचीत फेसबुक से व्हाट्सएप पर पहुँची। पूजा ने बताया कि वह कनाडा के एक प्रभावशाली परिवार से है और भारत में रिसर्च के लिए आई है। सत्येंद्र ने भी अपनी नौकरी और मॉस्को में काम के बारे में खुलकर बताया। जल्द ही दोनों की बातचीत गहरी हुई, और व्हाट्सएप कॉल्स शुरू हो गईं। पूजा ने कभी अपना नंबर साझा नहीं किया; सारी कॉल्स व्हाट्सएप के जरिए होती थीं। धीरे-धीरे दोनों रिलेशनशिप में आ गए।
हनीट्रैप का असली खेल
पूजा ने सत्येंद्र से उनके काम और दूतावास की जिम्मेदारियों के बारे में पूछना शुरू किया। सत्येंद्र ने अपनी अहमियत जताने के लिए बताया कि वह जूनियर अधिकारियों को प्रशिक्षण देते हैं और महत्वपूर्ण जानकारियों तक उनकी पहुँच है। पूजा ने इसे मौके की तरह लिया। उसने कहा कि वह इंटरनेशनल रिलेशंस पर रिसर्च कर रही है, और सत्येंद्र की जानकारी से उसका प्रोजेक्ट बेहतर हो सकता है। सत्येंद्र, जो अब भावनात्मक रूप से पूजा से जुड़ चुके थे, ने छोटी-मोटी जानकारियाँ साझा करनी शुरू कीं।
एक दिन पूजा ने बातों-बातों में बताया कि कनाडा में उसे एक शख्स मिला था, जिसने मामूली जानकारी के बदले उसे मोटी रकम दी थी। बाद में उसे पता चला कि वह व्यक्ति ISI से जुड़ा था। पूजा ने सत्येंद्र को लालच दिया कि उनकी संवेदनशील जानकारी के लिए उन्हें भारी पैसे मिल सकते हैं। सत्येंद्र ने पहले हिचकिचाया, क्योंकि वह जानते थे कि यह देश के साथ गद्दारी है। लेकिन हनीट्रैप की ताकत ने उन्हें जकड़ लिया। पूजा के कहने पर उन्होंने छोटी जानकारियाँ देनी शुरू कीं।
लीक हुए 250 से ज्यादा गोपनीय दस्तावेज
सत्येंद्र ने मॉस्को और भारत में अपने बैंक खातों में पैसे आने शुरू होने पर और जानकारी देनी शुरू की। शुरुआत छोटी अपडेट्स से हुई, लेकिन जल्द ही वह गोपनीय दस्तावेज सॉफ्ट कॉपी में साझा करने लगे। इनमें शामिल थीं:
- रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की रणनीतिक गतिविधियों की जानकारी।
- भारतीय वायुसेना और नौसेना के हथियारों और सिस्टम्स की गोपनीय जानकारी।
- भारत-रूस सैन्य अभ्यास की डिटेल्स।
- भारत द्वारा निष्कासित हथियारों के दस्तावेज।
- रूस और भारत के सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच MoUs की जानकारी।
कुल मिलाकर, सत्येंद्र ने लगभग 250 गोपनीय दस्तावेज ISI तक पहुँचाए। बदले में उन्हें करीब 30 लाख रुपये मिले।
खुलासा और गिरफ्तारी
2023 के मध्य में भारत की खुफिया एजेंसी RAW को सूचना मिली कि ISI भारतीय दूतावासों में काम करने वाले अधिकारियों को निशाना बना रही है। RAW ने संवेदनशील स्थानों पर नजर रखनी शुरू की। सत्येंद्र की सोशल मीडिया गतिविधियों और उनके मॉस्को बैंक खाते में लाखों के लेन-देन ने संदेह पैदा किया। जब जांच हुई, तो पता चला कि पैसा पाकिस्तान से आ रहा था।
RAW ने सत्येंद्र पर 24×7 निगरानी शुरू की, लेकिन उसे तुरंत पकड़ने के बजाय रंगे हाथों गिरफ्तार करने की योजना बनाई। इस बीच, सत्येंद्र ने जनवरी 2024 में छुट्टी के लिए आवेदन किया, ताकि अपनी कजिन की शादी के लिए भारत आ सकें। 28 जनवरी 2024 को वह दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरे और हापुर पहुँचे। यूपी ATS, जिसे IPS मोहित अग्रवाल नेतृत्व दे रहे थे, ने उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी।
31 जनवरी को ATS ने हापुर में उनके घर पर छापा मारा, लेकिन सत्येंद्र मेरठ में शादी में थे। शादी के बाद उन्हें मेरठ ATS कार्यालय में बुलाया गया। पूछताछ में पहले उन्होंने गोलमोल जवाब दिए, लेकिन सख्ती के बाद टूट गए। 3 फरवरी 2024 को सत्येंद्र ने कबूल किया कि वह पूजा मेहरा को जानकारी दे रहे थे। तभी उन्हें पता चला कि पूजा मेहरा कोई कनाडाई रिसर्चर नहीं, बल्कि पाकिस्तान में रहने वाली ISI एजेंट थी।
कानूनी कार्रवाई और सबक
सत्येंद्र के खिलाफ यूपी ATS पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई। उन पर IPC की धारा 121A (देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने) और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 के तहत आरोप लगाए गए। उनकी गिरफ्तारी ने न केवल उनके करियर को बर्बाद किया, बल्कि उनके परिवार को भी नुकसान पहुँचाया। शर्मिंदगी के कारण परिवार को गाँव छोड़ना पड़ा।
ISI का नया हथियार
यह केस दिखाता है कि कैसे ISI फेसबुक, व्हाट्सएप, और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर भारतीय सैन्य अधिकारियों, ISRO वैज्ञानिकों, और दूतावास कर्मचारियों को निशाना बना रही है। सत्येंद्र का मामला एक चेतावनी है कि सोशल मीडिया पर संवेदनशील जानकारी साझा करना कितना खतरनाक हो सकता है।