Sunday, April 20, 2025
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जल संरक्षण के लिए 30 साल की दूरदर्शी योजना बनाई जाय -मुख्यमंत्री

NTI (देहरादून) : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में जलापूर्ति, जल संरक्षण और पेयजल प्रबंधन को लेकर एक व्यापक और दूरदर्शी कार्ययोजना का खाका खींचा है। पेयजल और जलागम विभाग की बैठक में उन्होंने अगले 30 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री का यह विजन न केवल राज्य के जल संसाधनों को संरक्षित करने का प्रयास है, बल्कि इसे देश के अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जलापूर्ति के लिए अगले 10 और 30 साल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग योजनाएँ तैयार की जाएँ। इसके लिए वर्षा जल संरक्षण और भूजल स्तर को बढ़ाने के प्रभावी उपाय किए जाएँ। उन्होंने जल स्रोतों, नदियों और जलधाराओं के पुनर्जनन पर विशेष ध्यान देने की बात कही। इसके लिए जन सहयोग को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों के सुझावों को कार्ययोजनाओं में शामिल करने के निर्देश दिए गए।

उन्होंने गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता और गुणवत्ता पर विशेष बल दिया। उनका लक्ष्य है कि राज्य की अंतिम सीमा तक गंगा का जल पूरी तरह पीने योग्य हो। इसके लिए गंगा की सहायक नदियों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करने और जनता के सहयोग से स्वच्छता अभियान चलाने की योजना है।

जल जीवन मिशन

जल जीवन मिशन के तहत लगाए गए कनेक्शनों से नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ने पुराने जल स्रोतों के पुनर्जनन और नए स्रोतों को चिह्नित करने पर जोर दिया। खासकर गर्मियों में पेयजल संकट से बचने के लिए यह कदम उठाया जाएगा। साथ ही, पानी के स्टोरेज टैंकों और पेयजल टैंकरों की नियमित सफाई को अनिवार्य बताया गया।

पेयजल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर टेस्टिंग की व्यवस्था की जाएगी। यदि गुणवत्ता सभी मानकों पर खरी उतरती है, तो प्राकृतिक जल स्रोतों के पानी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। पेयजल से जुड़ी शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए टोल-फ्री नंबर और जनपद स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित करने का भी निर्देश दिया गया।

नवाचार और समन्वय

मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक स्तर पर भी कई सुधारों की बात कही। पांच साल से एक ही स्थान पर तैनात कर्मचारियों की सूची माँगी गई ताकि कार्यकुशलता बढ़ाई जा सके। नई पेयजल लाइनों के लिए सड़क खुदाई से होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए संबंधित विभागों के बीच समन्वय पर जोर दिया गया। साथ ही, विभिन्न विभागों की उन परिसंपत्तियों की समीक्षा करने को कहा गया, जो उपयोग में नहीं हैं, ताकि उनका सही इस्तेमाल हो सके।

उन्होंने कहा, “उत्तराखंड एक युवा राज्य है और यहाँ नवाचार की अपार संभावनाएँ हैं।  भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने भी राज्य में सारा (State Annual Rural Action Plan) के तहत किए जा रहे कार्यों की सराहना की है।

जल सखी और पुनरुपयोग

बैठक में बताया गया कि राज्य में जल सखी, जल पुनरुपयोग और पेयजल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जल सखी योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों को जोड़कर स्थानीय स्तर पर बिलिंग, बिल सुधार और योजनाओं के रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके अलावा, एसटीपी से उपचारित जल को बागवानी, सिंचाई, औद्योगिक उपयोग, नर्सरी, कार धुलाई और कृषि जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल करने की योजना है। इससे जल के बेहतर प्रबंधन के साथ संसाधनों का संरक्षण भी होगा।

पर्यावरण और कृषि के लिए कदम

सारा के तहत क्रिटिकल जल स्रोतों को पुनर्जनन का कार्य शुरू किया गया है। वर्षा आधारित नदियों के प्रवाह और डिस्चार्ज को मापने की योजना पर भी काम हो रहा है, जिसमें आईआईटी रुड़की और राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजिक संस्थान सहयोग करेंगे। इसके अलावा, उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना के तहत पर्वतीय कृषि को लाभकारी बनाने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य है। काश्तकारों की बंजर भूमि पर पौधारोपण और कार्बन क्रेडिट से लाभ देने की योजना भी शामिल है।

जल संरक्षण का एक नया मॉडल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह पहल उत्तराखंड को जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अगले 30 साल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही यह कार्ययोजना न केवल राज्य के नागरिकों को स्वच्छ और नियमित पेयजल उपलब्ध कराएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देगी। गंगा की स्वच्छता से लेकर भूजल स्तर को बढ़ाने तक, यह विजन उत्तराखंड को एक सतत और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाएगा। यह न सिर्फ राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकता है।

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