NTI (मोहन भुलानी ): कुमाऊं क्षेत्र में भोटिया समुदाय का एक हिस्सा, रुंग जनजाति, जो चौदांस क्षेत्र में निवास करती है, हर 12 साल में एक विशेष उत्सव मनाती है जिसे “कंडाली की लड़ाई” या “कंगदाली उत्सव” के नाम से जाना जाता है। यह उत्सव न केवल एक परंपरा है, बल्कि एक ऐतिहासिक घटना और सामुदायिक एकता का प्रतीक भी है। इस उत्सव में दुश्मन कोई सेना नहीं, बल्कि 3-4 फीट ऊंचा एक पौधा होता है—कंडाली।
कहा जाता है कि बहुत समय पहले, चौदांस क्षेत्र पर एक आक्रमण हुआ था। उस समय आक्रमणकारी सैनिकों ने कंडाली के घने झाड़ियों में छिपकर हमला करने की योजना बनाई थी। पुरुषों की अनुपस्थिति में क्षेत्र की महिलाओं ने न केवल अपनी बुद्धिमता और साहस से इन सैनिकों का मुकाबला किया, बल्कि इन कंडाली के पौधों को नष्ट करके अपने घरों और गांवों को बचाया। यह कहानी इस उत्सव का आधार बन गई। हालांकि, एक दूसरी मान्यता भी है जिसमें राजा की भूमिका को हटाकर केवल पौधे की विशेषता पर ध्यान दिया जाता है। कंडाली का पौधा हर 12 साल में एक बार, सितंबर-अक्टूबर के महीनों में फूलता है। यह समय दशहरे के आसपास का होता है, जिसके कारण उत्सव में उत्साह और धार्मिकता का मिश्रण देखने को मिलता है।
कंडाली उत्सव की शुरुआत स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा से होती है। चौदांस क्षेत्र के लोग अपने पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर तैयार होते हैं। पुरुष तलवारें लिए होते हैं, तो महिलाएं “रिल” नामक एक कपड़ा बनाने के औजार को हाथ में थामती हैं। यह औजार न केवल उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है, बल्कि इस उत्सव में उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक भी बन जाता है। ढोल-नगाड़ों की थाप पर आधारित छोलिया नृत्य इस उत्सव का मुख्य आकर्षण होता है। ढोल बजाने वाले समूह के पीछे पुरुष और महिलाएं एक जुलूस के रूप में उस स्थान की ओर बढ़ते हैं जहां कंडाली का पौधा उगा हुआ है।
जैसे ही लोग कंडाली के पौधे के पास पहुंचते हैं, संगीत की धुन तेज और उग्र हो जाती है। यह एक युद्ध संगीत की तरह गूंजता है, जो उस ऐतिहासिक संघर्ष की याद दिलाता है। महिलाएं अपने रिल से और पुरुष अपनी तलवारों से इस पौधे पर हमला करते हैं। यह हमला केवल पौधे को नष्ट करने का कार्य नहीं है, बल्कि उस साहस और विजय का उत्सव है जिसने कभी इस क्षेत्र को बचाया था। कंडाली के पौधे को नष्ट करने के बाद, चौदासी लोग इसे “दुश्मन के मृत शरीर” के रूप में प्रतीकात्मक रूप से उत्सव स्थल तक वापस लाते हैं। यह एक नाटकीय प्रदर्शन है जो सामुदायिक एकता और ऐतिहासिक गौरव को दर्शाता है।
उत्सव स्थल पर पहुंचने के बाद, सभी लोग एक सामूहिक नृत्य में शामिल होते हैं। छोलिया नृत्य की थाप पर पुरुष और महिलाएं एक साथ झूमते हैं, और उत्सव का माहौल खुशी और उल्लास से भर जाता है। संगीत धीरे-धीरे शांत होता है, और यह उत्सव अपने समापन की ओर बढ़ता है। यह नृत्य न केवल उत्सव का हिस्सा है, बल्कि उस सामुदायिक भावना को भी मजबूत करता है जो रुंग जनजाति की पहचान है।
कंडाली की लड़ाई केवल एक पौधे को नष्ट करने का उत्सव नहीं है। यह साहस, एकता और परंपरा का प्रतीक है। यह उत्सव महिलाओं की वीरता को सम्मान देता है, जो संकट के समय अपने घरों की रक्षा के लिए आगे आईं। साथ ही, यह प्रकृति के साथ इस क्षेत्र के लोगों के गहरे संबंध को भी दर्शाता है। कंडाली का पौधा, जो हर 12 साल में फूलता है, इस उत्सव का केंद्र है और इसके आसपास की कहानियां इसे और भी खास बनाती हैं।
पारंपरिक परिधानों में सजे लोग, छोलिया नृत्य की थाप, और कंडाली पर विजय का यह दृश्य हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है। यह उत्सव हमें याद दिलाता है कि प्रकृति और मानव जीवन के बीच का रिश्ता कितना गहरा और अर्थपूर्ण हो सकता है।