NTI, देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन सदन में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में व्यापक भ्रष्टाचार, धांधली और अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड ने केंद्रीय मंत्रालय के नियमों की अनदेखी करते हुए घरेलू सामान, साइकिल और टूलकिट खरीदे, लेकिन इनका वितरण ठीक से नहीं किया गया। इसके अलावा, कोरोना काल में अपात्र लोगों को राशन किट और विवाह योजना के तहत 7.19 करोड़ रुपये अनियमित रूप से वितरित किए गए।
- अपात्र लाभार्थियों को वितरण:
- वित्तीय वर्ष 2021-22 की CAG रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड ने अपात्र लोगों को टूलकिट, साइकिल और राशन किट वितरित की।
- महिला श्रमिकों के विवाह के लिए 51 हजार रुपये के बजाय 1 लाख रुपये दिए गए, जिससे 1468 लाभार्थियों को 7.19 करोड़ रुपये अधिक बांटे गए।
- मृतक श्रमिकों के मुआवजे में देरी:
- श्रमिकों की मृत्यु के 60 दिनों के भीतर मुआवजा देने का नियम है, लेकिन देहरादून और उधमसिंह नगर में औसतन 140 दिन की देरी हुई।
- मातृत्व लाभ में अनियमितता:
- प्रसूति योजना के तहत मातृत्व लाभ 10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 और 25,000 रुपये कर दिया गया। 225 मामलों में 19.75 लाख रुपये अधिक भुगतान किया गया।
- साइकिल और टूलकिट घोटाला:
- 2018 से 2022 के बीच 83,560 साइकिलें खरीदी गईं, लेकिन केवल 6,020 साइकिलें ही वितरित की गईं।
- उधमसिंह नगर में कुछ श्रमिकों को चार बार साइकिल बांटी गई।
- टूलकिट की खरीद में भी अनियमितताएं पाई गईं। देहरादून में 22,426 टूलकिट खरीदे गए, लेकिन केवल 171 वितरित किए गए।
- राशन किट वितरण में धांधली:
- कोरोना काल में 75 हजार राशन किट खरीदी गईं, लेकिन इन्हें अपात्र लाभार्थियों को बांट दिया गया।
- आईटी कंपनी से 53.58 करोड़ रुपये की राशन किट खरीदी गई, जिसमें 3.51 करोड़ रुपये का अतिरिक्त शुल्क लिया गया।
- वित्तीय अनियमितताएं:
- बोर्ड ने सरकारी स्वीकृति के बिना 607.09 करोड़ रुपये खर्च किए।
- निर्माण कार्यों का रजिस्ट्रेशन नहीं करने से 88.27 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
CAG की टिप्पणी:
CAG ने कहा कि बोर्ड ने श्रमिकों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं का दुरुपयोग किया है। रिपोर्ट में सरकार से अनियमितताओं की जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है। इस रिपोर्ट के बाद विपक्ष ने सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है, जबकि सरकार ने जांच का आश्वासन दिया है।