Thursday, January 30, 2025
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जलवायु परिवर्तन के कारण पहाड़ों में जनवरी में ही खिल गया बुरॉश

(NTI, Ranikhet): जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पहाड़ों पर किस हद तक पड़ा है, इसका ताजा उदाहरण इन दिनों धौलछीना और बिनसर अभयारण्य के जंगलों में देखा जा सकता है। आमतौर पर फरवरी के दूसरे पखवाड़े से मार्च के दौरान खिलने वाला बुरांश का फूल इस बार जनवरी में ही खिल गया है। इस अप्रत्याशित बदलाव ने लोगों को चौंका दिया है। लोग इसे बदलते मौसम चक्र का नतीजा मान रहे हैं। इतना ही नहीं, जंगलों में कई जगह काफल भी पकने को तैयार हैं।

पहाड़ों में बुरांश का फूल आमतौर पर 15 मार्च के बाद खिलता है और मार्च-अप्रैल के बीच काफल पकता है। लेकिन इस बार प्रकृति ने अपने रंग बदल दिए हैं। हैरानी की बात यह है कि जनवरी के पहले पखवाड़े में ही धौलछीना और बिनसर अभयारण्य के जंगलों में बुरांश खिल चुका है और कुछ जगहों पर काफल भी पकने लगा है।

यह स्पष्ट है कि ठंडे पहाड़ अब गर्म होने लगे हैं और यहां की आबोहवा तेजी से बदल रही है। स्थिति यह है कि इस साल सर्दियों के दौरान अभी तक केवल दो दिन बारिश हुई है, जबकि पूरा शीतकाल शुष्क बीता है। इस बदलाव का पहाड़ों की जैव विविधता पर गहरा असर पड़ रहा है। जनवरी में बुरांश का खिलना और काफल का पकना चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है।

पेड़-पौधों का समय से पहले फूलना और फलना सीधे-सीधे जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। बुरांश, काफल, आड़ू, नाशपाती जैसे फलों का समय से पहले पकना इसी बदलाव का संकेत है। बारिश और बर्फबारी के अभाव में इन प्रजातियों को समय से पहले अनुकूल तापमान मिल रहा है। बढ़ते प्रदूषण ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

“जलवायु परिवर्तन का असर अब पहाड़ों की जैव विविधता पर साफ देखा जा सकता है, जो चिंताजनक है।”
– डॉ. धनी आर्या, विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान, अल्मोड़ा

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