प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की अनौपचारिक यात्रा के बाद इसी तरह की यात्रा पर रूस के सोची शहर पहुंच चुके हैं। सोची पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 3.30 बडे पहली अनौपचारिक बैठक हुई। इस दौरान मीडिया से मुखातिब होते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और रूस अटूट दोस्त हैं और पुतिन मेरे करीबी मित्र हैं।
पीएम मोदी के इस दौरे पर दोनों नेता व्यापक और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय मामलों पर अपने विचार रखेंगे। दोनों नेता अपनी संबंधित राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं और द्विपक्षीय मामलों पर भी चर्चा करेंगे।
पीएम मोदी की यात्रा बदलते वैश्विक समीकरण के लिहाज से काफी अहम मानी जा रही है। ईरान पर अमेरिका के नये प्रतिबंधों को देखते हुए भी मोदी की मॉस्को यात्रा की अहमियत बढ़ी है। इस यात्रा में मोदी और पुतिन के बीच वैश्विव व रिजनल मुद्दों पर बात होगी जिसमें दुनिया में फैले आतंकवाद का मुद्दा अहम होगा। दोनों ही देश आतंकवाद से पीड़ित हैं ऐसे में आतंकी संगठन आईएस को लेकर भी चर्चा संभव है।
दोनों भारत और रूस के बीच आर्थिक साझेदारी बेहतर करने पर भी बात करेंगे। इस दौरे पर पीएम मोदी और पुतिन के बीच वन-टू-वन मुलाकातें ज्यादा होंगी वहीं डेलिगेशन स्तर पर वार्ता को सीमित रखा गया है। पुतिन ने पीएम मोदी के सम्मान में विशेष लंच भी रखा है।
रूस के शहर सोची रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होने वाली उनकी मुलाकात दोनों देशों के विशेष रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत करेगी। वैसे तो इस मुलाकात को दोनों पक्षों की तरफ से अनौपचारिक बताया जा रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने एक तरह से मुलाकात के एजेंडे की झलक दे दी है।
जानकारों की मानें तो दोनों नेताओं की मुलाकात निकट भविष्य में भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की दशा व दिशा तय करेगी। मोदी और पुतिन के बीच दिसंबर, 2018 तक चार और द्विपक्षीय मुलाकातों की तैयारी है। आगे किन मुद्दों पर दोनों देशों को सहमति बनानी है, इसका फैसला सोची में कर लिया जाएगा। ईरान से अफगानिस्तान व मध्य एशिया होते हुए रूस तक रेल व सड़क मार्ग का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करने व आपसी सहयोग से तीसरे देशों में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर खास जोर दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने रूस रवानगी से पहले ट्विटर के जरिढ अपनी यात्रा की जानकारी दी। उन्होंने कहा है, “रूस के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात को लेकर उत्सुक हूं। उनसे मिलने में हमेशा प्रसन्नता होती है। मुझे भरोसा है कि पुतिन के साथ बातचीत भारत व रूस के बीच के विशेष रणनीतिक रिश्ते को और मजबूत करेगी।”
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यह मुलाकात राष्ट्रपति पुतिन के आग्रह पर तय की गई है और इस बार ज्यादा ध्यान वैश्विक मामलों पर होगा। चूंकि बगैर पूर्व निर्धारित एजेंडे के यह मुलाकात हो रही है इसलिए दोनों नेताओं की तरफ से भी अपने-अपने मुद्दे उठाए जाने की छूट होगी।
विदेश मंत्रालय की तरफ से पहले ही संकेत दिए जा चुके हैं कि मोदी और पुतिन की मुलाकात में ईरान से परमाणु करार तोड़ने का मुद्दा काफी अहम होगा। अभी यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में सबसे गर्म है। एक दिन पहले सोची में ही पुतिन की जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल के साथ मुलाकात हुई है जिसमें ईरान-अमेरिका विवाद काफी प्रमुखता से उठा है। रूस के सामने मौका है कि वह दुनिया के प्रमुख देशों के सामने इस बारे में अपना पक्ष रखे।
जानकारों के मुताबिक, भारत खुलकर भले ही अभी नहीं बोल रहा हो, लेकिन वह ईरान परमाणु मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले से बेहद असहज है। ट्रंप के फैसले से भारत व रूस दोनों की अर्थव्यवस्थाओं पर विपरीत असर होने के आसार हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच उन उपायों पर चर्चा होगी जिससे आर्थिक दबाव को कम किया जा सके।
दिसंबर तक होगी चार मुलाकात
मोदी और पुतिन के बीच सोची के बाद भी दिसंबर, 2018 तक चार बार द्विपक्षीय मुलाकात होगी। अगले महीने दोनों नेता चीन में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेंगे। उसके बाद दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में मुलाकात करेंगे। फिर पूर्वी एशियाई देशों के साथ सहयोग बैठक में उनकी मुलाकात होगी। इसके बाद भारत में होने वाली भारत-रूस सालाना बैठक की अगुवाई ये दोनों करेंगे।