NTI: नैनीताल हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले में खड़िया खनन से जमीन में आई दरारों के गंभीर मामले पर गुरुवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की पीठ ने खनन स्थलों का पुनः निरीक्षण करने तथा ताजा रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए। कोर्ट ने इस मामले को “अति गंभीर” बताते हुए सभी संबंधित एजेंसियों को दोबारा जांच करने का निर्देश दिया है।
पीठ ने न्यायमित्र दुष्यंत मैनाली और कोर्ट कमिश्नर को खदानों का मौका-मुआयना करने तथा रिपोर्ट जमा करने को कहा। इससे पहले, ग्रामीणों की शिकायत पर नियुक्त दो न्यायमित्रों की जांच से कोर्ट संतुष्ट नहीं था, इसलिए अब सभी एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से जांच करनी होगी। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए बागेश्वर एसपी ने बताया कि खनन की जांच हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार हो रही है। वहीं, जांच समिति के अध्यक्ष ने सुविधाओं के अभाव का हवाला देते हुए जल्द रिपोर्ट पेश करने में असमर्थता जताई।
न्यायमित्र ने चेतावनी दी कि अवैध खनन से गांवों के साथ-साथ 1,000 साल पुराने कालिका मंदिर में दरारें आ गई हैं। उन्होंने कहा, “सॉफ्ट स्टोन (नरम चट्टान) के अत्यधिक दोहन ने पूरे जिले को आपदा के कगार पर पहुंचा दिया है। यदि रोकथाम नहीं हुई, तो बागेश्वर की स्थिति जोशीमठ-जैसी हो सकती है।”
कांडा तहसील के ग्रामीणों ने कोर्ट में शिकायत की थी कि मशीनीकृत खनन से उनकी कृषि भूमि, जल स्रोत और मंदिरों को नुकसान पहुंचा है। पहले खड़िया खनन से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता था, लेकिन अब कंपनियां लाभ के चक्कर में अंधाधुंध खनन कर रही हैं। ग्रामीणों ने आगाह किया है कि यदि खनन नहीं रुका, तो पूरा क्षेत्र भू-धंसाव की चपेट में आ जाएगा।