Saturday, April 12, 2025
HomeNewsमहाकुंभ 2025 आस्था का महापर्व के साथ 2 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था...

महाकुंभ 2025 आस्था का महापर्व के साथ 2 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था का महा-उत्सव

NTI (मोहन भुलानी ) : भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को गौरवान्वित करने वाला महाकुंभ मेला न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि अब यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा वरदान साबित हो रहा है। 2025 में होने वाले महाकुंभ के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुशी जाहिर की है, क्योंकि इस आयोजन से करीब 2 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का अनुमान लगाया जा रहा है। यह आंकड़ा न केवल महाकुंभ के आर्थिक महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि यह साबित करता है कि आस्था और अर्थव्यवस्था का गहरा नाता है।

महाकुंभ का आर्थिक सफर: 2013 से 2025 तक

महाकुंभ का आर्थिक प्रभाव पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ता जा रहा है। 2013 में इस आयोजन ने करीब 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न किया था। 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। अब 2025 में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि महाकुंभ से करीब 2 लाख करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न होगा। यह आंकड़ा न केवल महाकुंभ के बढ़ते आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि यह सरकार की निवेश नीतियों की सफलता का भी प्रतीक है।

सरकार का निवेश और बड़े रिटर्न

सरकार ने महाकुंभ के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए करीब 500 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस निवेश से होने वाला राजस्व करीब 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। यानी, आस्था के इस महापर्व ने सरकार को 26 गुना रिटर्न दिया है, और यह सब सिर्फ 45 दिनों में संभव होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है।

राजस्व के प्रमुख स्रोत

महाकुंभ से होने वाला राजस्व कई क्षेत्रों से आने की उम्मीद है:

  1. होटल और लॉजिंग: करीब 50,000 करोड़ रुपये का व्यवसाय होने का अनुमान है।
  2. खाद्य और पेय पदार्थ: इस क्षेत्र से करीब 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न होगा।
  3. धार्मिक वस्तुओं की बिक्री: करीब 20,000 करोड़ रुपये का व्यवसाय होने की उम्मीद है।
  4. परिवहन और पर्यटन: इस क्षेत्र से करीब 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व आने की संभावना है।
  5. मनोरंजन और अन्य सेवाएं: करीब 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न होगा।

इसके अलावा, हस्तशिल्प, डिजिटल सेवाएं, और स्वास्थ्य सेवाओं से भी बड़ी मात्रा में राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है।

GST और TAX कलेक्शन में बड़ी भूमिका

महाकुंभ से होने वाले राजस्व का सबसे बड़ा लाभ जीएसटी कलेक्शन के रूप में सामने आएगा। अनुमान है कि इस आयोजन से करीब 2.25 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन होगा, जो देश की मासिक जीएसटी कलेक्शन का लगभग 18% है। इसके अलावा, डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के रूप में करीब 8,000 करोड़ रुपये और जुटाए जाएंगे। इस तरह, कुल टैक्स कलेक्शन करीब 33,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, और यह सब सिर्फ 45 दिनों में संभव होगा।

महाकुंभ 2025 न केवल आस्था का महापर्व है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा अवसर साबित हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की खुशी का कारण साफ है: महाकुंभ ने आस्था और अर्थव्यवस्था के बीच एक अनूठा संतुलन स्थापित किया है। यह आयोजन न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

RELATED ARTICLES