Thursday, June 19, 2025
HomeBrandभारतीय एविएशन उद्योग में Indigo Airlines की सफलता का राज क्या है...

भारतीय एविएशन उद्योग में Indigo Airlines की सफलता का राज क्या है !

NTI (मोहन भुलानी ): भारतीय एविएशन उद्योग में इंडिगो ने ऐसी ऊँचाइयाँ हासिल की हैं कि यह आज न केवल भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है, बल्कि एक मिसाल भी बन चुकी है। जहाँ एक ओर विस्तारा 581 करोड़ के घाटे में डूबी है, एयर इंडिया 7,000 करोड़ के नुकसान से जूझ रही है, और गो फर्स्ट जैसी एयरलाइनें बंद हो चुकी हैं, वहीं इंडिगो अकेले 8,170 करोड़ रुपये के मुनाफे के साथ आसमान छू रही है। अगर बात करें बेड़े की, तो विस्तारा के पास 70 विमान हैं, एयर इंडिया के पास 144, और अकासा के पास 24, लेकिन इंडिगो के पास 392 विमानों का विशाल बेड़ा है। यह आँकड़े साफ बताते हैं कि इंडिगो भारतीय एविएशन में एक चैंपियन बन चुकी है। एक समय यह कंपनी सिर्फ एक विमान के साथ शुरू हुई थी, और आज यह 300 से अधिक एयरबस विमानों का ऑर्डर दे चुकी है, जिसने इसे एयरबस का सबसे बड़ा खरीदार बना दिया। लेकिन सवाल यह है कि जिस मार्केट को “एयरलाइंस का कब्रिस्तान” कहा जाता है, वहाँ इंडिगो ने यह मुकाम कैसे हासिल किया?

भारतीय एविएशन मार्केट दुनिया के सबसे कठिन बाजारों में से एक है। यहाँ कम किराये और ज्यादा क्षमता यात्रियों के लिए तो फायदेमंद हैं, लेकिन एयरलाइंस के लिए खून बहाने का कारण बनते हैं। पिछले कुछ सालों में कई एयरलाइंस डूब चुकी हैं—गो फर्स्ट चार साल में दूसरी एयरलाइन थी जिसने अपने परिचालन को बंद किया, वहीं स्पाइसजेट भी किराये के भुगतान में चूक के कारण संकट में है। सहारा एयर, किंगफिशर, डेक्कन एयर, और जेट एयरवेज जैसे बड़े नाम भी न मुनाफा कमा सके और न ही टिक पाए। विजय माल्या और सहारा जैसे बड़े बिजनेसमैन भी अपनी एयरलाइंस को बचा नहीं पाए। ऐसे में इंडिगो का सफल होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। आइए, इसकी कहानी को शुरू से समझते हैं।

2005 का दौर

2005 में भारतीय एविएशन में जेट एयरवेज, डेक्कन एयर, और एयर इंडिया का दबदबा था। इसी समय किंगफिशर ने 2005 में और इंडिगो ने 2006 में अपने परिचालन शुरू किए। शुरुआती सालों में सभी कंपनियाँ घाटे में थीं। 2007 तक किंगफिशर को 408 करोड़, स्पाइसजेट को 132 करोड़, जेट एयरवेज को 423 करोड़, और इंडिगो को 234 करोड़ का नुकसान हुआ। लेकिन 2008 के बाद कहानी बदल गई। जहाँ किंगफिशर का नुकसान चार गुना बढ़कर 1,900 करोड़ तक पहुँच गया, स्पाइसजेट 340 करोड़ के घाटे में थी, और जेट एयरवेज 400 करोड़ के नुकसान में डूबी थी, वहीं इंडिगो ने 80 करोड़ का मुनाफा कमाया। इसके बाद किंगफिशर और जेट एयरवेज कभी उबर नहीं पाए, लेकिन इंडिगो का मुनाफा 400 करोड़ से बढ़कर 4,847 करोड़ और फिर 7,000 करोड़ तक पहुँच गया। आज यह 8,170 करोड़ के मुनाफे के साथ शीर्ष पर है।

इंडिगो की सफलता का राज

इंडिगो की सफलता का आधार यह है कि इसने भारतीय बाजार की तीन सच्चाइयों को समझा और दूसरों की गलतियों से सीखा। एक महान कहावत है, “अच्छी कंपनियाँ अपनी गलतियों से सीखती हैं, महान कंपनियाँ दूसरों की गलतियों से।” इंडिगो ने यही किया।

  1. टिकट की कीमत: भारत में एयरलाइन बिजनेस में भारी निवेश की जरूरत होती है, लेकिन यहाँ के ज्यादातर लोग कम्फर्ट या अनुभव से ज्यादा टिकट की कीमत को तरजीह देते हैं। 80% भारतीय सालाना 10 लाख से कम कमाते हैं, और 140 करोड़ की आबादी में सिर्फ 2.2 करोड़ लोग इनकम टैक्स भरते हैं। ऐसे में लोग सस्ते टिकट के लिए रात 2 बजे की फ्लाइट लेना भी पसंद करते हैं। इंडिगो ने समझा कि यहाँ टिकट की कीमत 5,000 से 8,000 रुपये के बीच रखनी होगी, वरना कस्टमर नहीं आएँगे।
  2. मार्केट साइज़: बाहर से देखने पर लगता है कि भारत में 140 करोड़ का बाजार है, लेकिन हकीकत अलग है। इंडिया को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है—इंडिया 1 (12 करोड़ लोग, औसत आय 1 लाख), इंडिया 2 (30 करोड़ लोग, औसत आय 5 लाख), और इंडिया 3 (100 करोड़ लोग, औसत आय 1 लाख से कम)। फ्लाइट लेने वाले ज्यादातर इंडिया 1 से हैं, यानी असल बाजार सिर्फ 12-15 करोड़ का है। इंडिगो ने इस सीमित बाजार को समझा और उसी के हिसाब से रणनीति बनाई।
  3. प्रॉफिट मार्जिन: भारत में एविएशन में मुनाफा कमाना बेहद मुश्किल है। ईंधन लागत 35-45% तक खर्च ले लेती है, और कभी-कभी यह 50% तक पहुँच जाती है। चूँकि भारत कच्चा तेल आयात करता है, इसकी कीमतें अनिश्चित हैं। इंडिगो ने समझा कि मुनाफे का एकमात्र तरीका है—खर्च कम करना और सिस्टम को कुशल बनाना।

इंडिगो की रणनीति

  1. एयरबस का चयन: 2005 में इंडिगो ने 100 एयरबस विमानों का ऑर्डर दिया, जिसकी कीमत 6 बिलियन डॉलर (लगभग 8,000 करोड़ रुपये) थी। यह एयरबस के लिए जरूरी था, क्योंकि उसने भारतीय बाजार में अपनी पकड़ खो दी थी। एयरबस के विमान बोइंग से 8-10% ज्यादा ईंधन-कुशल थे। उदाहरण के लिए, अगर बोइंग का एक विमान मुंबई से दिल्ली के लिए 10,000 लीटर ईंधन लेता है, तो एयरबस सिर्फ 9,000 लीटर में काम कर लेता है। 100 रुपये प्रति लीटर की दर से एक फ्लाइट में 1 लाख की बचत होती है। 2,000 दैनिक उड़ानों के साथ यह बचत सालाना 1,800 करोड़ तक पहुँच सकती है।
  2. सेल्स एंड लीज बैक मॉडल: इंडिगो ने एक अनोखी मार्केटिंग रणनीति अपनाई। मान लीजिए, एक विमान की कीमत 500 करोड़ है। इंडिगो इसे 400 करोड़ में खरीदती थी (बड़े ऑर्डर की छूट के कारण), फिर इसे 500 करोड़ में बीओसी एविएशन जैसी कंपनी को बेच देती थी, जिससे 100 करोड़ का तत्काल मुनाफा होता था। इसके बाद वह उसी विमान को 5-8 साल के लिए किराये पर ले लेती थी। इससे तीन फायदे हुए—तुरंत मुनाफा, रखरखाव लागत में कमी (क्योंकि सभी विमान एयरबस के थे), और कम पूँजी में ज्यादा विमानों का उपयोग।
  3. हब एंड स्पोक मॉडल: जहाँ किंगफिशर ने पॉइंट-टू-पॉइंट मॉडल अपनाया (हर गंतव्य के लिए अलग विमान), वहीं इंडिगो ने हब एंड स्पोक मॉडल चुना। उदाहरण के लिए, छह गंतव्यों (A, B, C, D, E, F) को कवर करने के लिए पॉइंट-टू-पॉइंट में 15 विमान चाहिए, लेकिन हब एंड स्पोक में एक हब (O) के साथ सिर्फ 6 विमानों से काम हो जाता है। इससे विमानों की संख्या कम हुई, उपयोगिता बढ़ी, और नए गंतव्य जोड़ना आसान हो गया।
  4. सादगी और सस्तापन: इंडिगो ने लग्जरी पर ध्यान नहीं दिया। न बिजनेस क्लास, न मुफ्त भोजन, न हेडफोन—सिर्फ जरूरत भर लेग स्पेस और सबसे सस्ते टिकट। जहाँ किंगफिशर और जेट एयरवेज ने लग्जरी में पैसा जलाया, इंडिगो ने सादगी से बाजार जीता।

संकट को अवसर में बदला

2008 का वैश्विक मंदी भारतीय एविएशन के लिए तबाही लेकर आई। तेल की कीमतें 76 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 112 डॉलर तक पहुँच गईं। किंगफिशर का नुकसान 1,902 करोड़, स्पाइसजेट का 340 करोड़, और जेट एयरवेज का 400 करोड़ हो गया। लेकिन इंडिगो ने इस संकट को अवसर बनाया। जहाँ 2008 में यह 234 करोड़ के घाटे में थी, वहीं 2009 में 82 करोड़ का मुनाफा कमाया। अगले साल यह 480 करोड़ और फिर 700 करोड़ तक पहुँचा। जब किंगफिशर डूब रहा था, इंडिगो ने अपने नकदी भंडार से इसके 200-300 पायलटों को हायर कर लिया, जिससे ट्रेनिंग लागत शून्य हो गई।

आज की स्थिति

आज इंडिगो 392 विमानों के साथ 2,000 दैनिक उड़ानें संचालित करती है। इसकी तुलना में कोई भी प्रतिद्वंद्वी आसपास नहीं है। यह न केवल भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है, बल्कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती एयरलाइंस में से एक है।

  1. कम कीमत, बेहतर सेवा: भारतीय ग्राहक को किंग साइज सर्विस चाहिए, लेकिन किंग साइज कीमत नहीं देना चाहता। इंडिगो ने सस्ते टिकटों के साथ बेसिक सेवा दी, और जीत हासिल की।
  2. दूसरों की गलतियों से सीख: इंडिगो ने किंगफिशर और जेट की गलतियों से सबक लिया और अपना मॉडल मजबूत किया।
  3. तैयारी ही सफलता: जैसा लुई पाश्चर ने कहा, “मौका हमेशा तैयार दिमाग का पक्ष लेता है।” इंडिगो ने संकट के लिए नकदी तैयार रखी और मंदी को मौके में बदला।

इंडिगो की सही रणनीति, बाजार की समझ, और कुशलता किसी भी चुनौती को जीत में बदल सकती है। यह भारतीय एविएशन के “कब्रिस्तान” में एक चमकता सितारा है।

RELATED ARTICLES