NTI: स्वेज नहर वैश्विक व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका के बीच माल ढुलाई का प्रमुख मार्ग है। जब बात Suez Canal से जुड़े प्रमुख एशियाई देशों की आती है, तो भारत का नाम सबसे पहले सामने आता है। भारत अपने विदेशी व्यापार का 95% वॉल्यूम और 67% मूल्य समुद्री मार्गों के माध्यम से करता है, जिसमें स्वेज नहर की भूमिका अहम है। यह नहर भारत को यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका जैसे क्षेत्रों से जोड़ती है, जो हमारे कुल विदेशी व्यापार का लगभग 35% हिस्सा बनाते हैं।
‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में स्वेज नहर से गुजरने वाला 9% कार्गो भारत पहुंचा था। यह आंकड़ा भारत की इस नहर पर निर्भरता को दर्शाता है। वित्तीय वर्ष 2023 में भारत ने स्वेज नहर के माध्यम से 6 बिलियन डॉलर का निर्यात और 98 बिलियन डॉलर का आयात किया। यह नहर भारत के लिए न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भी एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
2023 में इजरायल-गाजा युद्ध के कारण स्वेज नहर में रुकावटें आईं, जिसका वैश्विक व्यापार पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस दौरान भारत और यूरोप के बीच व्यापार में कई बदलाव देखने को मिले। यूरोप से भारत आने वाले फर्नीचर और मशीनरी की कीमतों में अचानक बदलाव हुआ, वहीं भारत से यूरोप जाने वाले टेक्सटाइल सामग्री की लागत भी बढ़ गई। नहर को बायपास करने के लिए वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करना पड़ा, जिसके चलते माल ढुलाई की लागत (फ्रेट रेट्स) में 5 से 15% तक की बढ़ोतरी देखी गई। यह स्थिति भारत के लिए एक चेतावनी थी कि स्वेज नहर पर अत्यधिक निर्भरता भविष्य में जोखिम भरी हो सकती है।
स्वेज नहर के इस संकट ने भारत को वैकल्पिक मार्गों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है। भारत वर्तमान में दो परियोजनाओं के माध्यम से सीधे और दो परियोजनाओं के माध्यम से परोक्ष रूप से स्वेज नहर के विकल्प तैयार करने में जुटा है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल भारत के व्यापार को सुरक्षित करना है, बल्कि वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को और मजबूत करना भी है। इनमें से कुछ प्रमुख परियोजनाएं हैं:
- इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC): यह कॉरिडोर भारत को रूस और मध्य एशिया से जोड़ता है, जो स्वेज नहर के बिना यूरोप तक पहुंचने का एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है।
- इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC): यह परियोजना भारत को मध्य पूर्व के माध्यम से यूरोप से जोड़ने का प्रयास है, जो स्वेज नहर पर निर्भरता को कम करेगा।
- चाबहार पोर्ट: ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास के साथ भारत मध्य एशिया और यूरोप तक पहुंचने के लिए एक नया रास्ता बना रहा है।
- सागरमाला परियोजना: यह भारत के बंदरगाहों और समुद्री ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है, जो वैकल्पिक व्यापारिक मार्गों को समर्थन देगा।
स्वेज नहर भारत के लिए वैश्विक व्यापार का एक महत्वपूर्ण मार्ग है, लेकिन हाल के संकटों ने इसकी सीमाओं को उजागर किया है। भारत अब सक्रिय रूप से वैकल्पिक मार्गों और रणनीतियों पर काम कर रहा है ताकि वह भविष्य में किसी भी रुकावट से प्रभावित न हो। इन प्रयासों के साथ, भारत न केवल अपनी व्यापारिक क्षमता को बढ़ा रहा है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति को और भी मजबूत कर रहा है। स्वेज नहर का महत्व बरकरार रहेगा, लेकिन भारत की दूरदर्शी रणनीतियां इसे किसी एक मार्ग पर निर्भर रहने से बचाएंगी।