Sunday, March 30, 2025
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विवाह पति को पत्नी पर स्वामित्व या नियंत्रण नहीं देता- हाई कोर्ट

NTI, प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह सख्त टिप्पणी की कि “विवाह पति को अपनी पत्नी पर स्वामित्व या नियंत्रण का अधिकार नहीं देता, न ही यह उसकी स्वतंत्रता और निजता के अधिकार को कम करता है।” यह मामला उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले से जुड़ा है, जहां प्रद्युमन यादव नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ उनकी पत्नी ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 के तहत केस दर्ज कराया था।

पत्नी ने आरोप लगाया कि प्रद्युमन यादव ने उसकी जानकारी और सहमति के बिना अपने मोबाइल फोन से उसका एक अश्लील वीडियो बनाया और उसे पहले सोशल मीडिया पर अपलोड किया, फिर अपने चचेरे भाई और गांव के अन्य लोगों के साथ साझा किया। पुलिस ने मामले की जांच की और प्रद्युमन के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आईटी एक्ट की धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद कोर्ट ने प्रद्युमन को समन जारी कर तलब किया। इस फैसले के खिलाफ प्रद्युमन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

हाई कोर्ट में प्रद्युमन के वकील ने दलील दी कि उनका मुवक्किल शिकायतकर्ता का कानूनी रूप से विवाहित पति है, इसलिए आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत कोई अपराध नहीं बनता। वकील ने यह भी कहा कि पति-पत्नी के बीच समझौते की संभावना है और मामले को रद्द किया जाना चाहिए।

पत्नी के पक्ष की ओर से जिरह कर रहे सरकारी वकील ने इस तर्क का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि भले ही शिकायतकर्ता प्रद्युमन की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी हो, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उसे उसकी निजता का उल्लंघन करने और अश्लील वीडियो बनाकर चचेरे भाई व गांव वालों के साथ साझा करने का अधिकार मिल जाता है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस विनोद दिवाकर ने प्रद्युमन की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस दिवाकर ने कहा, “फेसबुक पर अंतरंग वीडियो अपलोड करके पति ने वैवाहिक संबंधों की पवित्रता को गंभीर रूप से भंग किया है। यह कृत्य पति-पत्नी के रिश्ते की नींव को कमजोर करता है। पत्नी की शारीरिक स्वतंत्रता और निजता का सम्मान करना पति का कर्तव्य है। पति अपनी पत्नी का संरक्षक हो सकता है, लेकिन उसका मालिक नहीं।”

कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि प्रद्युमन ने अपनी पत्नी के भरोसे और सम्मान को ठेस पहुंचाई है, और ऐसे व्यक्ति को कोई राहत नहीं दी जा सकती।

हाई कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश गया है कि विवाह के नाम पर पति को अपनी पत्नी की निजता और स्वायत्तता का हनन करने का कोई अधिकार नहीं है। मामला अब ट्रायल कोर्ट में आगे की सुनवाई के लिए जाएगा, जहां प्रद्युमन को अपने खिलाफ लगे आरोपों का जवाब देना होगा।

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