उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, राज्यपाल डॉक्टर कृष्णकान्त पाल, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने बुधवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून में भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों (प्रोबेशनर्स) के दीक्षान्त समारोह का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया.
दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि जो राज्य वनों के संरक्षण और संवर्द्धन में अच्छा काम कर रहे है उन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए, उन्हें इन्सेंटिव दिया जाना चाहिए. वनों को बचाए रखने के लिए स्थानीय लोगों को, पंचायतों तथा स्थानीय निकायों को इन्सेंटिव दिया जाए, उनको ऑपरेशनल राइट्स दिए जाएं. इससे राज्यों को, लोगों को ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
नायडू ने कहा की वन संरक्षण सहित हर राष्ट्रीय कार्यक्रम को जनांदोलन का रूप देना ज़रूरी है. समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का उत्थान पहले होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सतत वैज्ञानिक उपायों से एकीकृत ईकोसिस्टम को बनाए रखना और उसको मजबूत बनाना ज़रूरी है. वन सेवा एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. वन सम्पदा को बचाने में कई फॉरेस्ट अधिकारियों ने प्राणों का बलिदान तक दिया है. वनाधिकारियों को वनों में निवास करने वाले आदिवासी समुदायों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. उन्हें सहायता दे, प्रशिक्षित करें और उनके सर्वांगींण विकास में सहायक हों. मानव वन्य जीव संघर्ष (मैन ऐनिमल कान्फ्लिक्ट) के निवारण के लिए भी ठोस उपाय किए जाएं.
उप राष्ट्रपति ने भारतीय वन सेवा वर्ष 2016-18 बैच में प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को सम्मानित भी किया. राज्यपाल डॉक्टर कृष्ण कांत पाल ने भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनर अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि एक प्रोफेशनल व प्रशिक्षित फोरेस्टर बदलते पर्यावरण की समस्याओं को समझ सकता है.
राज्यपाल ने कहा कि दून घाटी को ‘भारतीय वानिकी का पालना’ कहा जा सकता है. चिपको आंदोलन जिसकी पर्यावरण संरक्षण के मॉडल के तौर पर पूरे विश्व में पहचान है, की शुरूआत हिमालय में हुई थी.
राज्यपाल ने कहा कि वनों के कटाव से ग्लोबल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की समस्या विकराल होती जा रही है. जिस प्रकार अर्थशास्त्री जीडीपी का मूल्यांकन करते हैं, उसी प्रकार ‘ग्रीन एकाउंटिंग’ की अवधारणा को भी अपनाना चाहिए. यह विशेष तौर पर उत्तराखण्ड जैस पर्वतीय राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दीक्षांत समारोह में उपाधि पाने वालों को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन उनकी तपस्या, मेहनत और लगन के फल प्राप्ति का दिन है. यह दिन आईएफएस अधिकारियों को नई जिम्मदारियों से जोड़ने वाला दिन है. मुख्यमंत्री ने दीक्षांत में पासआउट अधिकारियों से नई तकनीकी और शोध को बढ़ावा देने की अपेक्षा की.
केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने युवा परिवीक्षार्थियों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून में प्रशिक्षण पूर्ण होने पर बधाई दी. उन्होंने वनाश्रित समुदायों को सशक्त बनाने तथा वनों से दीर्घकालीन लाभ प्राप्त करने, ग्रामीणों की आजीविका के स्रोत एवं जलवायु परिवर्तन को रोकने के एक साधन के रूप में वनों को संरक्षित किए जाने के प्रयासों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि ये युवा अधिकारी राष्ट्र की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक डॉक्टर शशि कुमार ने बताया कि वर्तमान 2016-18 व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में 5 उत्तर प्रदेश, 6 बिहार, 3 दिल्ली, 3 पंजाब, एक पश्चिम बंगला, 7 राजस्थान, एक मध्य प्रदेश, 6 तमिलनाडु, 2 झारखंड, 4 महाराष्ट्र, 3 कर्नाटक, 4 आन्ध्र प्रदेश, 2 हरियाणा, 4 तेलंगाना, 2 भूटान के विदेशी प्रशिक्षु अधिकारियों सहित कुल 53 आईएफएस परिवीक्षार्थियों को डिप्लोमा प्रदान किया गया.
इन अधिकारियों में से 18 ने 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करते हुए ऑनर्स डिप्लोमा प्राप्त किया है. सफलतापूर्वक अपना प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले सभी अधिकारियों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के एसोसिएट डिप्लोमा से सम्मानित किया जा रहा है जिसमें इन्हें फिनलैंड, रूस और स्पेन, इटली की स्पेशल ओवरसीज़ एक्सपोज़र विजिट भी कराई गई हैं.