पीरान कलियर। राज्य वक्फ बोर्ड के अधीन दरगाह साबिर-ए-पाक व यहां अन्य दरगाहों पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं द्वारा दिये जाने वाले दान से प्रतिदिन लाखों रुपये की आमद के साथ ही वार्षिक ठेकों से करोड़ों रुपये की आमदनी होती है। इसके बावजूद यहां विकास कोसों दूर है। करोड़ों रुपये की आमद के बावजूद विकास ना होने से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को जहां बड़ी ठेस पहुंचती है। वहीं राज्य सरकार द्वारा पर्यटन के रूप में पिरान कलियर को देखना भी एक मात्र सपना ही लग रहा है। माफिया दरगाह की करोड़ों की सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द कर रहे हैं। ठेकेदार करोड़ों की रकम हजम कर चुके हैं। वक्फ बोर्ड यहां से हो रही आमद व फैली अव्यवस्थाओं पर काबू पाने में पूरी तरह नाकाम दिखाई दे रहा है।
राज्य गठन के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि वक्फ बोर्ड के अधीन दरगाह सारिब-ए-पाक का विकास होगा। पर्यटन के रूप में देखे जाने वाले उत्तराखण्ड राज्य के रूप में अस्तित्व में आये राज्य के बाद कयास थे कि पिरान कलियर को पर्यटन के रुप में विकसित किया जायेगा। लेकिन कईं सरकारें आई व चली गयी। सरकारों ने तो इस ओर कोई ध्यान दिया ही नहीं। राज्य वक्फ बोर्ड भी यहां से करोड़ों की आमद के बावजूद दरगाह के विकास को कराने में पूरी नाकाम रहा है। दरगाह साबिर-ए-पाक पर देश-विदेश से लाखों जायरीन प्रतिवर्ष जियारत को आते हैं। जिसके चलते यहां करोड़ों की आमद होती है। साथ ही वार्षिक ठेकों से भी करोड़ों की आमद का सिलसिला पिछले लम्बे अरसे से जारी है। दरगाह के खाते में यह पूरी रकम धूल फांक रही है। ना तो दरगाह का विकास हुआ है और न ही आवाम के लिये कोई सार्वजनिक ऐसी शिक्षा संस्थान अथवा मेडिकल कालेज जिसकी आवाज भी उठती रही है स्थापित हो सका। हुआ यह है कि जिस माफिया के हाथ दरगाह की सम्पत्ति से जो लगा उसे वह हड़प करने में कामयाब रहा। नतीजा यह है कि घोटाले दर घोटाले होने के बाद उच्च न्यायालय द्वारा कमेटी गठित की गयी है जो जांच कर रही है। सरकार को चाहिये कि यहां हस्तक्षेप कर पिरान कलियर का विकास कराने में अपना अहम योगदान अदा करें।
सुधार को सरकार दे दखल
पूरी तरह दरगाह के विकास कराने में फेल हो चुके वक्फ बोर्ड मामले में राज्य सरकार को हस्तक्षेप कर यहां एक लोकल कमेटी का गठन करने के बाद उसकी कमान अपने हाथों में लेकर दरगाह का विकास कराने की आवश्यकता है। दरगाह से हो रही आमद से यहां समाज के लिये शिक्षण संस्थान मेडिकल कालेज आदि के अलावा दरगाह को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होने के साथ ही यहां हो रही आमद को दोगुणा किया जा सकता है। इसके लिये सरकार को दखल देने की जरूरत है। ऐसा नहीं होता तो यहां जिस तरह सेवा के नाम पर सैकड़ों बीघा अरबों रुपये की भूमि को खुर्द-बुर्द किया गया है, जिस तरह दरगाह के आवासों पर कब्जे किये जा चुके हैं, ये सिलसिला चलता रहेगा।