पिथौरागढ़. दुनिया की सबसे मुश्किल धार्मिक यात्राओं में से एक कैलाश मानसरोवर (Kailash Mansarovar) यात्रा इस साल नहीं हो पाएगी. कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण की वजह से इस यात्रा पर ग्रहण लग गया है. मानसरोवर यात्रा के आयोजन को लेकर जो आशंका जताई जा रही थी, वह अब सच साबित हो गई हैं. केएमवीएन के अध्यक्ष केदार जोशी ने बताया कि जिन गिने-चुने श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए आवेदन किया था, उन सभी ने अपने आवेदन वापस ले लिए हैं. बता दें कि कैलाश-मानसरोवर तिब्बत में पड़ता है, जो चीन के कब्जे में है.
कोई तैयारी नहीं
बता दें कि जून के पहले हफ्ते से हर साल मानसरोवर यात्रा 3 माह के लिए आयोजित होती है. यात्रा न होने से कुमाऊं मंडल विकास निगम को 5 करोड़ रुपए से अधिक का नुक़सान होने की आशंका है. केएमवीएन को हर यात्री से 35 हजार से अधिक की कमाई होती थी. बीते सालों तक 18 यात्री दल लिपुलेख दर्रे से चीन में प्रवेश करते थे. अमूमन एक यात्री दल में 55 के करीब तीर्थयात्री शामिल होते थे. ऐसा पहली बार होगा कि 1981 से शुरू यात्रा में एक भी तीर्थयात्री पवित्र कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के दर्शन नहीं कर पाएगा.