नई दिल्ली । दुनिया का मानचित्र एक बार फिर बदल सकता है। भूगर्भशास्त्रियों की मानें तो अफ्रीका महाद्वीप दो टुकड़ों में बंट जाएगा। अगले एक करोड़ साल में इन दोनों हिस्सों के बीच एक महासागर आ जाएगा। इस प्रक्रिया की शुरुआत अभी ही हो चुकी है। दक्षिण पश्चिम केन्या में मीलों लंबी और काफी चौड़ी दरार पड़ चुकी है। लगातार इसका आकार-प्रकार बढ़ रहा है। यहां का नैरोबी-नरोक हाईवे पूरी तरह तहस-नहस हो चुका है। भूकंप की गतिविधियां यहां तेज हो चुकी हैं। फाल्ट डायनामिक्स रिसर्च ग्रुप लंदन रॉयल होलोवे के लुसिया पेरेज डियाज ने इसकी वजहें बताई है।
दरार बनने की वजहें
धरती का लिथोस्फेयर (क्रस्ट और मैंटल का ऊपरी हिस्सा) कई टेक्टॉनिक प्लेटों में बंटा होता है। ये प्लेटें स्थिर नहीं होतीं। अलग-अलग गति से ये एक-दूसरे की तरफ बढ़ती रहती हैं। ये ज्यादा चलायमान एस्थेनोस्फेयर (लिथोस्फेयर के नीचे की परत) के ऊपर सरकती रहती हैं। माना जाता है कि एस्थेनोस्फेयर के बहाव और प्लेटों की बाउंड्री से पैदा हुए बल इन्हें गतिमान बनाए रखते हैं। ये ताकतें प्लेट को सामान्य रूप से चलाती ही नहीं हैं, बल्कि कभी-कभी प्लेटों को तोड़ भी देती हैं। इससे धरती में दरार पैदा होती है और एक नई प्लेट बाउंड्री के निर्माण की स्थितियां बनती हैं।
पूर्वी अफ्रीकी दरार
ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट वैली उत्तर में अदन की खाड़ी से लेकर दक्षिण में जिंबाब्वे तक के 3000 किमी क्षेत्र के दायरे में फैली है। ये अफ्रीकी प्लेट को दो असमान हिस्सों सोमाली और नुबियन प्लेटों में बांटती है। इस रिफ्ट वैली के पूर्वी हिस्से यानी इथियोपिया, केन्या, तंजानिया में भूगर्भ हलचल तेज है। लिहाजा दक्षिण-पश्चिम केन्या में धरती में मीलों लंबी चौड़ी दरार दिखाई देने लगी है।
पूर्व की घटना
धरती में चौड़ी दरारों का बनना किसी महाद्वीप के विभाजन की शुरुआत होती है। अगर यह प्रक्रिया सफल रहती है तो इसके फलस्वरूप वहां एक नया महासागर बेसिन तैयार हो जाता है। 13 करोड़ 80 लाख साल पहले इसी प्रक्रिया के तहत दक्षिणी अमेरिका और अफ्रीका महाद्वीप अलग हुए थे। आज भी दोनों महाद्वीपों के तटीय क्षेत्रों की समानता इसकी पुष्टि करती है।
बड़े बदलाव
अफ्रीकन रिफ्ट वैली की पूरी सतह ज्वालामुखीय चट्टानों से बनी है। लिहाजा यहां लिथोस्फेयर बहुत पतली है जिसके दो टुकड़ों में बंटने की बहुत गुंजायश है। जब ऐसा होगा तो खाली हुए स्थान में मैग्मा के जमने से नया महासागर बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। करोड़ साल बाद समुद्र तल बढ़कर पूरी दरार को अपने लपेटे में ले लेगा। महासागर का आकार बढ़ेगा और अफ्रीका महाद्वीप छोटा हो जाएगा। हार्न ऑफ अफ्रीका समेत इथियोपिया और सोमालिया के हिस्सों से हिंद महासागर में एक आइलैंड भी बन जाएगा।
अफ्रीका का मामला
वैज्ञानिकों के अनुसार पूर्वी अफ्रीका टूट रहा है। इस महाद्वीप के पूर्वी हिस्से में एक विशालकाय 5000 किमी लंबी टेक्टॉनिक प्लेट बाउंड्री है। इसे ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट सिस्टम की सतह की तरह देखा जा सकता है। अफ्रीकन प्लेट सोमालियन और नुबियन टेक्टॉनिक प्लेटों में बंटी है। ये दोनों प्लेटें एक-दूसरे को दूर धकेल रही हैं। यह सक्रिय दरार क्षेत्र हर साल कुछ मिमी की दर से चौड़ा हो रहा है। इसका मतलब है कि करीब एक करोड़ साल में वहां एक नया महासागर पैदा हो जाएगा और ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट सिस्टम पूर्वी अफ्रीका को महाद्वीप से अलग कर देगा।