ये बात सच है कि उत्तराखंड के युवाओं में धीरे धीरे पहाड़ वापस लौटने का क्रेज बढ़ रहा है। इसके लिए उत्तराखंड के युवा नए नए तरीके खोज रहे हैं और उन तरीकों को ईजाद कर सफलता के झंडे भी गाड़ रहे हैं। आज हम एक ऐसे ही युवा की कहानी से आपको रू-ब-रू करवा रहे हैं। ये वो युवा है, जो दिल्ली में अच्छी खासी नौकरी कर रहा था। इसके बाद भी उसके दिल में पहाड़ वापस लौटने की ललक थी। आखिरकार वो वापस लौटा, खेती को एक नई दिशा दी और आज अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। इस युवा का नाम है सुधीर कुमार सुंद्रियाल, जो कि पौड़ी के पोखड़ा में स्थित गांव डाबरी के निवासी हैं। आज सुधीर के अपने साथ 16 से ज्यादा काश्तकारों को जोड़ चुके हैं। सुधीर को दिल्ली में अच्छी-खासी सैलरी मिल रही थी। वो आराम से अपने परिवार के साथ दिल्ली में जीवन बसर कर रहे थे।
ढाई साल पहले जब वो अपने गांव डाबरी पहुंचे, तो वहां बंजर पड़े खेत उनकी आंखों को चुभ गए। इसके बाद सुधीर ने अपने गांव में वापस आकर ही खेतों में नई टेक्नोलॉजी से किसानी करने की सोची। कहते हैं कि किसी भी काम को करने के लिए सबसे पहले हिम्मत चाहिए, सुधीर में वो हिम्मत थी, तो उन्होंने ये काम शुरू कर दिया। 2014 में दिल्ली से बोरिया बिस्तर समेटकर वो वापस गांव लौट आए। उन्होंने पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से पहाड़ों में खेती के तौर-तरीकों को जाना। इसके बाद उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय के हैप्रिक विभाग से संपर्क किया। यहां से तमाम औधीय पौधों के बारे में जानकारी जुटाकर सुधीर एक बार फिर से वापस आ गए। अब वो एक छोटे पॉवर ट्रेलर के जरिये गांव की किस्मत संवार रहे हैं। सुधीर को इस बीच सुभाष डबराल का साथ मिला।
इसके बाद दोनों ने गांव की बंजर भूमि को हरा-भरा करने की मुहिम छेड़ दी। इसके बाद इस मुहिम में उनके साथ हेमंत नेगी भी जुड़ गए। इन दो सालों के भीतर ही गांव में 800 फलदार पेड़ लहलहा रहे हैं। इसके अलावा इलायची के 800 से ज्यादा पेड़ तैयार हैं। एलोवेरा और कई औषधीय पौधों के साथ ही साग-सब्जी, मटर, अदरक, उड़द जैसी चीजों का उत्पादन हो रहा है। सुधीर अब अपने आस पास के लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि अब तक 16 काश्तकार वापस खेती की तरफ जुड़ गए हैं। सुधीर ने इसके बाद फील गुड यानी ‘’भलु लगदु’’ नाम की संस्था बनाई। इस संस्था के काम गाव के गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई करवाना है। बताया जाता है कि इससे पहले सुधीर दिल्ली के ऑर्बो सेंटर में देहदान कर चुके हैं। पारंपरिक खेती को नया रूप देकर सुधीर गांव में रहकर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं और लोगों को रोजगार के मौके दे रहे हैं। जंगली जानवरों से बचने के लिए सुधीर ने अदरक और लाल मिर्च की खेती भी शुरू कर दी।