रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार देश में कोरोना वायरस के दस्तक देते ही सतर्क हो गई थी और इससे निजात पाने की तैयारियों में जुट गई थी, लेकिन जिस दिन आंकड़ा एक पर आया, उसी दिन दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से ताल्लुक रखने वाले लोगों के संपर्क में आए आठ केस पॉजिटिव मिले और आंकड़ा नौ पर पहुंच गया. वहीं शनिवार देर रात सात और लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए, जिसने एक्टिव मरीजों की संख्या 15 पहुंचा दी है. खबर लिखे जाने तक प्रदेश में एक्टिव केस का आंकड़ा 21 है. यह सभी केस कोरबा जिले के कटघोरा के हैं. अगर यह कहें कि कटघोरा छत्तीसगढ़ का कोरोना हॉटस्पॉट बन गया तो गलत नहीं होगा. कैसे बना कटघोरा छत्तीसगढ़ का ‘कोरोना हॉटस्पॉट’, कहां हुई चूक…?
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से लौटे जमातियों के झूठ और प्रशासन की लापरवाही ने छत्तीसगढ़ के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. छत्तीसगढ़ के पहले और इकलौते ‘हॉटस्पॉट’ के तौर पर कोरबा का उपनगरीय क्षेत्र कटघोरा स्थापित हो चुका है. प्रदेश में कुल 31 मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित मिले हैं, जिसमें अकेले कोरबा के रहने वाले 23 हैं. इनमें से कटघोरा के 22 मरीज हैं.
23 मार्च को पहली बार मिली जानकारी
पहली बार सभी जमात से ताल्लुक रखने वाले प्रशासन की नजर में 23 मार्च को आए. जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सर्वे के दौरान पाया कि कटघोरा की जामा मस्जिद में महाराष्ट्र के कामठी से आकर 14 जमाती ठहरे हुए हैं, जो कि लगातार धार्मिक आयोजन कर रहे हैं. तब इन्हें होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई, लेकिन कड़ी निगरानी नहीं की गई, नतीजा यह निकला कि यह सभी खुले में बे-रोकटोक घूमते रहे.
29 मार्च मस्जिद में दोबारा सर्वे किया
कटघोरा के स्वास्थ विभाग को सूचना मिली थी कि 28 मार्च को जामा मस्जिद में चार और जमाती पहुंचे हैं. 29 मार्च को स्वास्थ्य विभाग की टीम जामा मस्जिद में दोबारा सर्वे पर पहुंची, तब उन्होंने पाया कि चार और लोग मस्जिद में आए हुए हैं. बाद में इन्हीं में से एक 16 वर्षीय किशोर कोरोना पॉजिटिव पाया गया, लेकिन 29 मार्च को भी प्रशासन ने यहां किसी तरह की कोई कड़ी निगरानी या ठोस इंतजामात नहीं किए. अब यह कोरोना पॉजिटिव किशोर यहां-वहां घूमता रहा और सब से मिलता रहा.
30 मार्च को कोरबा में पहला पॉजिटिव केस मिला
छत्तीसगढ़ में संक्रमितों की संख्या सात थी, अब तक कोरबा का खाता नहीं खुला था. 30 की रात को कोरबा में पहला कोरोना पॉजिटिव मिला और छत्तीसगढ़ में संक्रमितों की संख्या आठ पहुंच गई. यह युवक लंदन से आया था, जो कि कोरबा शहर के रामसागर पारा का निवासी है, जिसकी दूरी कटघोरा से करीब 32 किलोमीटर है. प्रशासन का पूरा ध्यान अब रामसागर पारा पर केंद्रित हो गया. 30 मार्च की आधी रात को लंदन से वापस आए युवक को रायपुर एम्स ले जाया गया.
प्रशासन से इतनी बड़ी चूक कैसे ?
30 मार्च को ही कटघोरा में एक नेता के पिता की मृत्यु हुई थी, जिनकी मैय्यत में सभी जमातियों ने हिस्सा लिया. बिना अनुमति नियमों के विपरीत इस मैय्यत में लगभग 200 लोगों के शामिल होने की सूचना है. जहां कोरोना पॉजिटिव मरीज भी मौजूद रहे, लेकिन अब तक कटघोरा पर प्रशासन का ध्यान इसपर नहीं था. इसके एक दिन बाद तक भी प्रशासन की पूरी टीम रामसागर पारा को सील करने में लगी रही, जबकि प्रशासन को यह जानकारी थी कि कटघोरा में संदिग्ध जमाती ठहरे हुए हैं. बावजूद इसके इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया.
31 मार्च को खुला छोड़ा गया कटघोरा!
31 मार्च को पूरे दिन प्रशासन का फोकस अब भी रामसागर पारा पर केंद्रित रहा. लंदन से लौटे युवक पर लापरवाही बरतने के लिए एफआईआर भी दर्ज कर ली गई. आरोप था कि युवक ने होम क्वारंटाइन की शर्तों का उल्लंघन किया है. कलेक्टर के साथ ही नगर पालिक निगम के आयुक्त, कलेक्टर के बाद पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन के सभी शीर्ष अधिकारी रामसागर पारा में तैनात हो गए. पूरी ताकत रामसागर पारा पर झोंक दी. यही प्रशासन की बड़ी गलती थी, जो कि कटघोरा आज ‘कोरोना हॉटस्पॉट’ बन गया है. कटघोरा को 30 और 31 को पूरी तरह से खुला छोड़ दिया गया था.
एक अप्रैल को सरकार ने भेजी सूची
31 मार्च की आधी रात को तबलीगी जमात की चर्चा जिले में शुरू हुई. तबलीगी जमात का मामला देश में आने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार में 159 लोगों की सूची प्रदेश के सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को भेजी, जिसमें से 20 लोग कोरबा के थे. इन्हें ढूंढना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही थी. यह अब तक भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि सभी 20 लोग पुलिस को मिले या नहीं…हालांकि इनमें से 15 लोगों को ढूंढने का दावा पुलिस ने किया, जबकि पांच के बारे में ऐसा बताया गया कि वह कोरबा आए ही नहीं हैं. यह सभी राताखार की एक मस्जिद में पाए गए. सभी 15 लोगों को जिले के दीपका में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में शिफ्ट करके आइसोलेट कर दिया गया.
दो-तीन अप्रैल को दीपका के लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई
यह सभी 15 लोग 12, 13 मार्च को दिल्ली के निजामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात के मरकज में शामिल हुए थे, जिसके बाद यह सभी दिल्ली से ट्रेन में नागपुर और रायपुर से बिलासपुर होते हुए 15 मार्च को कोरबा पहुंचे थे. इनके अलावा तबलीगी जमात के 30 और लोग कटघोरा की मस्जिद में ही होम क्वारंटाइन में थे, तो कुल 45 जमाती जिले में थे जिनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, लेकिन रिपोर्ट अब तक नहीं आई थी. एक अप्रैल को ही लंदन से वापस आए युवक के पिता पर भी जानकारी छुपाने और होम आइसोलेशन की शर्तों के उल्लंघन के लिए पुलिस ने अपराध दर्ज किया. अब तक जिले से 95 सैंपल भेजे जा चुके थे, जिनमें से 49 की रिपोर्ट नेगेटिव थी, जबकि एक पॉजिटिव पाया गया था. तबलीगी जमात के 45 लोगों के रिपोर्ट आना बाकी थी. हालांकि अब दीपका में ठहरे सभी तबलीगी जमातियों की रिपोर्ट तीन अप्रैल को निगेटिव आई है.
चार अप्रैल को किशोर पॉजिटिव मिला
चार अप्रैल की आधी रात को तबलीगी जमात से संबंधित 16 वर्षीय किशोर की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई, जिले में अफरा-तफरी का महौल बन गया. इस बार अधिकारी दौड़ते-भागते कटघोरा की मस्जिद पहुंचे और आधी रात को इस किशोर को एम्स के लिए रवाना कर दिया गया. जमातियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अब तक प्रशासन यही मानकर चल रहा था कि सभी महाराष्ट्र से कोरबा आए हुए हैं, लेकिन इसके अनुसार किशोर पॉजिटिव कैसे हुआ…? संक्रमित में संक्रमण कहां से आया…? यह सवाल अधिकारियों को परेशान करने लगा था. मस्जिद प्रबंधन के लोग भी कह रहे थे कि पिछले एक महीने से तबलीगी जमात का कोई भी व्यक्ति मस्जिद से बाहर ही नहीं गया. सभी होम क्वारंटाइन की शर्तों का पालन कर रहे थे. प्रशासनिक अधिकारियों ने भी यही मान लिया.
पांच अप्रैल को शुरू हुई छानबीन
कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद पुलिस ने जमातियों की छानबीन शुरू की तो उनकी ट्रैवल हिस्ट्री और सीडीआर से स्पष्ट हुआ कि पॉजिटिव मिला किशोर दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित मरकज से ही लौटा था. कटघोरा एसडीओपी पंकज पटेल ने यह जानकारी दी कि किशोर पिछली 28 फरवरी को निजामुद्दीन से उत्कल एक्सप्रेस से रवाना हुआ, ट्रेन 29 फरवरी को पेंड्रा रोड स्टेशन पहुंची. यहां से किशोर और अन्य सभी वहां उतरे और सड़क मार्ग से पसान के मस्जिद से होते हुए कटघोरा जामा मस्जिद तक दो मार्च को पहुंचे थे. इतने दिनों तक कोरोना पॉजिटिव बेफिक्र होकर घूमता रहा. इतना ही नहीं उसने कई समारोह में शिरकत भी की, जिसके कारण अब प्रशासन सकते में है. अब यह भी स्पष्ट हो चुका था कि जमातियों का पूरा जत्था महाराष्ट्र से नहीं बल्कि दिल्ली के निजामुद्दीन में हुए मरकज से ही कटघोरा लौटा था.