बिहार में इन दिनों करण-अर्जुन की जोड़ी चर्चा में हैं. ये दोनों चेहरे सुपरहिट फिल्म करण-अर्जुन फिल्म के किरदार नहीं, बल्कि रियल लाइफ के कैरेक्टर हैं और दोनों नाबालिग बच्चे हैं. मुजफ्फरपुर के करण और अर्जुन नामक दो भाइयों की साहस की चर्चा आम हो रही है, क्योंकि इन दोनों नाबालिग बच्चों ने अपने साहस के बूते मां के हत्यारों को सजा दिलाई है.
मां की हत्या और पिता की दूसरी शादी करने के बाद भी इन बच्चों ने अपना हौसले बुलंद रखे. इन हौसलों के कारण ही अब अधिवक्ता की मदद से दोनों भाइयों को सरकार 6 लाख रुपया देने जा रही है, जिससे दोनों बच्चे आगे की पढ़ाई पूरी करेंगे. मुजफ्फरपुर के सरैय्या थाना क्षेत्र का रहने वाले करण और अर्जुन उस वक्त महज 9 और 4 साल के थे, जब 13 अप्रैल 2013 को उनकी मां की हत्या हो गई.
अवैध संबंध के कारण सरैय्या के चकमधुआ गांव की रहने वाली वीणा देवी की नहर में डूबोकर हत्या कर दी गई थी. बगल के गांव के रहने वाले शिक्षक शंभू राम से वीणा देवी का अवैध संबंध था. शंभु को जब लगा कि इसकी जानकारी आसपास के लोगों को हो जाएगी तो उसने वीणा देवी की हत्या कर दी.
पुलिस में प्राथमिकी हुई, लेकिन गवाह और साक्ष्य के बिना मामला खत्म होता दिख रहा था, तभी अधिवक्ता संगीता शाही ने दोनों बच्चों को इस मामले में बतौर गवाह बनाने के लिए कोर्ट के समक्ष आवेदन दिया और जब 9 मार्च 2018 को कोर्ट ने फैसला सुनाया तो दोनों भाइयों की गवाही के आधार पर दोषी शंभू राम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
मुजफ्फरपुर की एपीपी संगीता शाही ने बताया कि इस मामले में सजा सुनाये जाने के बाद पीड़ित को सहायता देने के लिए कोर्ट के समक्ष अधिवक्ता ने आवेदन दिया. पीड़ित सहायता अधिनियम 2012 के तहत कोर्ट ने दोनों भाइयों को सहायता देने का आदेश दिया है, जिसके तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकार फिलहाल अंतरिम तौर पर एक-एक लाख की राशि दोनों भाइयों को मुहैय्या करायी गई है, जबकि जल्द ही दो-दो लाख की राशि और दोनों भाइयों को राज्य सरकार के कोष से दी जायेगी.
करण फिलहाल 10 वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है, जबकि अर्जुन चौथी कक्षा में पढ़ रहा है. दोनों भाइयों को मां के कातिल को सजा दिलाने की तसल्ली है और पढ़ाई की लालसा भी. मां की हत्या के बाद पिता के दूसरी शादी से टूट चुके करण-अर्जुन को सरकार द्वारा मिलने वाली 6 लाख की सहायता राशि ने फिर से अपनी जिन्दगी को संवारने का एक मौका दिया है.