जियोलॉजी के प्रोफेसर और वर्तमान में उत्तराखंड अन्तरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक एमपीएस बिष्ट ने बताया कि उनके एक छात्र ने उन्हें इस पांडुलिपि के बारे में जानकारी दी। ये पांडुलिपि मंद्र सिंह बर्थवाल के घर में मिली है। जो दिवंगत ठाकुर धन सिंह बर्थवाल के परपोते हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने ही ये भगवान बदरीनाथ की आरती लिखी थी। उन्होंने बताया कि इस विषय की जानकारी पर्यटन सचिव को दे दी गई है। इसे राज्य की धरोहर के रूप में संजोया जा सकता है।
भगवान बदरी विशाल की आरती
यूं तो भगवान बदरीनाथ की आरती पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदित शोभितम, निकट गंगा बहत निर्मल, बदरीनाथ विशंभरम… को लिखने का श्रेय नंदप्रयाग के रहने वाले बदरुद्दीन को जाता है। इतिहासकारों की मानें तो बदरीनाथ जी की आरती बदरुद्दीन द्वारा संरचित है, जो कि एक मुसलमान थे।