(चेतन गुरुंग, वरिष्ठ पत्रकार )
लो यारों..शराब की दुकानों को और एक-दो महीने पुरानी लॉटरी पर ही चलते रहने देने की साजिश कामयाबी के करीब..एक दुकान से पांच लाख रूपये तक मिलने हैं.मालिकों से डील पक्की.आप क्या सोच रहे..यूँ ही नई आबकारी नीति का शासनादेश लटका हुआ है?अरे इतने गए-बीते और नाकारा भी नहीं..अपने विधायी वाले.फिर भी नीति वहां लटक गई..यूँ ही!नहीं जनाब..अंदरखाने की ख़बरों पर यकीन करो..सुनी-सुनाई पर नहीं.विधायी को तो कुछ त्रुटि हो तो उसको दुरुस्त भर करना होता है..फिर अपनी मुहर.. इसमें एक दिन से ज्यादा नहीं लगता.कैबिनेट कब हुई थी?भूल गए न पत्रकार भाई भी..अजी हफ्ते से ज्यादा हो चुके हैं..यह कोई छोटा अरसा नहीं..ख़ास कर जब मामला नई आबकारी नीति का हो.उसको विधानसभा में पास भी कराना हो..इधर नीति लटकी..उधर अफसर गैरसैण..विधायी मंजूरी भी दे दे तो एक अप्रैल से इसका लागू होना नियमानुसार मुमकिन नहीं..इ टेंडरिंग के लिए 15 दिन का समय तो देना ही पड़ता है..और कितने रह गए मार्च के दिन?अभी तो वेबसाइट भी तैयार नहीं.
.सही सोचा..यानि, खेल और साजिश एकदम सही दिशा में..वक्त की कमी का बहाना होगा..मौजूदा दुकानों को मौजूदा मालिकों को ही और कमाने के लिए आगे भी सौंप दिया जाएगा..डेली बेसेस पर..बहुत सस्ती..खुद भी खूब कमाओ..हमको भी खिलाओ..जैसे ही यह होगा तो आप सभी तुरंत समझ जाना कि मास्टर माइंड मंझले ने फिर कर दिया करोड़ों का खेल..सोचिये कि सिर्फ देहरादून में 70 दुकानें हैं शराब की..प्रदेश भर में!..जब सब पहले से पता है तो तैय्यारी क्यों नही की महकमे ने?सवाल तो उठता है जी.नाहक बदनाम हैं बेचारे पीने वाले तो..पिलाने के साजिशकर्ताओं पर भी ऊँगली तो उठाइये जनाब..जो नोटों के गद्दों में लेट कर आगे की रणनीतियों को तैयार कर रहा..डेनिस,गोल्फ़र्स शॉट और मुर्दों को भी अपनी बुरी बदबू से जगा देने वाली हवेलिया की बियर पीने के लिए आपको मजबूर करने के पापी है मंझले साहब..नाम किसका खराब हुआ?हरीश रावत.रणजीत रावत का..सुन रहे हैं न त्रिवेंद्र जी..प्रकाश जी..आप दोनों की प्रतिष्ठा अभी बहुत अच्छी है..इसलिए मित्रवत आगाह किया.
हरीश-रणजीत को तो उनकी करनी और मंझले पर आँख मूँद के यकीन करने का दंड मिला..मंझले को कब?उसने अब आपकी सरकार साध ली.आपकी सरकार में करोड़ों का फर्जी बैंक गारंटी घोटाला कर डाला..बीच सीजन में देसी शराब की कीमत बढ़वा दी.नीति का क्या काम फिर..क्या बाल भी बांका नहीं कर सकते आप उसका?अब तो घोटाला उजागर होने के इतने दिनों बाद लोग यही कहने लगे हैं…खुल के..मुख्यमंत्री जी..कल ही आपने भ्रष्टाचार पर बहुत बड़ा व्याख्यान सरकार की सालगिरह पर दिया है..मंझले को नाप सके तो जाने अवाम..सुना कि पार्टी के एक बड़े साहब के खासमखास हैं..यकीन मानिये इसको और सिडकुल के लुटेरों को ठिकाने लगा दिया न..बाकी सब खुद ब खुद लाइन पर आ जाएंगे..सिडकुल के लुटेरों की शेष कहानी अलग से..कुछ और खुलासों के साथ..अभी एक सवाल इस मंदबुद्धि का-ये विजयंत-बूंदी कौन हैं? पोंटी ग्रुप के साथ हाथ मिला लिया सुना..शराब कारोबार पर फिर सिंडीकेट का कब्ज़ा! परदे के पीछे कौन?हाहाहा..अजीब सा सवाल..और कौन? अरे वही..अब नाम नहीं लूँगा..बहुत हो गया..जागो मोहन प्यारे-जागो..