दमघोटू बदबू और कचरे से सना पानी, गटर ऐसे ही होते हैं. लेकिन मुंबई में कई मजदूर हर दिन गटर में उतरते हैं, इसी उम्मीद में कि उनकी जिंदगी रोशन हो जाएगी.
मायानगरी, सपनों की नगरी मुंबई के बारे में ऐसे ही कसीदे कहे जाते हैं. कहा जाता है कि यह शहर सपने पूरा करता है और इसी वजह से हर साल लाखों लोग अपना घरबार छोड़कर काम की तलाश में यहां आते हैं. इसी शहर के बीचोंबीच बसी है देश की सबसे बड़ी सोना मंडी, झावेरी बाजार. दुकानों पर टंगी चूड़िया, हार, माला, बालियों की चमचमाहट से ये बाजार दिन रात खूब चमकता है.
दरअसल झावेरी बाजार कई ऐसी फैक्ट्रियों और दुकानों का इलाका है जहां सोने को काट कर तराशा जाता है. ऐसे में कुछ सोने के कण बेपरवाही से बाजार की गलियों में गिर जाते हैं और फिर बहकर नालियों में चले जाते हैं. बाजार में चाय बेचने वाला अहमद बताता है कि वह हर सुबह ये घमेलेवाले यहां गलियों में आकर गटर का ढक्कन उठाते हैं और इन दुकानों के धूल और कचरे को बीनते हैं. आरिफ ये काम पिछले पांच साल से कर रहा है. एक बार जब उसका घमेला भर जाता है तो वह पास स्थित एक कोने में जाकर इसकी सफाई शुरू करता है. वह कचरे को पानी के साथ धोता है अगर उसमें सोना होता है तो वह घमेले की सतह पर रह जाता है. जैसे ही आरिफ को कोई चमकीली चीज नजर आती है उसका चेहरा खुशी से चमक उठता है. इसके बाद वह इसमें पारा मिलाता है ताकि सोना पारे में चिपक जाए. फिर वह मिश्रण को भट्टी पर चढ़ाता है और नाइट्रिक एसिड मिलाता है, जिसके बाद पारा भाप में बदल जाता है और सोना पीछे छूट जाता है.
इस बाजार में तकरीबन ऐसी सात हजार दुकानें हैं जो सोने-चांदी का काम करती हैं. लेकिन हर सुबह 4-5 बजे जब यहां सन्नाटा पसरा होता है कुछ लोग अपनी किस्मत आजमाने आते हैं. दरअसल इनका काम है बाजार की खुली नालियों को साफ करना. सफाई इसलिए नहीं कि वह कोई सफाई कर्मचारी हैं बल्कि इसलिए क्योंकि वे सोना तलाश रहे हैं. सोने की इस तलाश में लगे इन लोगों को घमेलेवाला कहा जाता है. घमेलावाला इसलिए क्योंकि यह अपने साथ कचरे को इकट्ठा कर उसे एक घमेले में इकट्ठा करते हैं और फिर सोना बीनने का काम शुरू करते हैं.
हालांकि पिछले कुछ सालों में सुनार भी अब इस सोने के कचरे से वाकिफ हो गए हैं और उन्होंने खुद भी इसे इकट्ठा करना और बेचना शुरू कर दिया है. वहीं कुछ कारोबारी अपनी दुकानों की साफ-सफाई को लेकर अब अत्यंत सावधानी बरतने लगे हैं. लेकिन अब भी कुछ घमेलेवाले मानते हैं कि इतना सोना निकल ही आता है कि उनकी जेबें भर जाएं.