प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहां से चुनाव लड़ेंगे इसको लेकर पार्टी के अंदर और संघ में मंथन शुरू हो गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि संगठन और सरकार की लिस्ट में अगर किसी सीट का नाम सबसे ऊपर रखा गया है तो वह धर्मनगरी (हरिद्वार) ही है। यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे बल्कि बीते दिनों उत्तराखंड की राजनीति में हुए अचानक से बदलाव की वजह से यह चर्चा जोरों पर हैं।
आप यह सोच रहे होंगे कि भला पूरे देश को छोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरिद्वार से क्यों चुनाव लड़ेंगे? ऐसा क्या है कि संगठन और सरकार हरिद्वार पर अपना फोकस कर रही है। हम आपको बताते हैं कि बीते दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ पर अपना फोकस बनाए हुए हैं। पीएम खुद केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण के कामों की मॉनिटरिंग समय-समय पर तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ वहां चल रहे बड़े प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड को भी वह आए दिन अधिकारियों के साथ ड्रोन से देख रहे हैं।
पीएम मोदी ने पिछले दिनों योग दिवस के कार्यक्रम के लिए राज्य की राजधानी देहरादून को ही चुना। जो इस बात का संकेत देता है कि उनके लिए उत्तराखंड बेहद महत्वपूर्ण है। इस बात को पीछे छोड़ भी दें तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री और संतों का लगातार पीएम मोदी व पार्टी अध्यक्ष से मिलना यह बताता है कि सभी नेताओं का हरिद्वार और केदारनाथ पर बेहद फोकस कर है।
अमित शाह का हरिद्वार दौरा:- 24 जून को अमित शाह हरिद्वार पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अपने संपर्क फॉर समर्थन के तहत शांतिकुंज प्रमुख प्रणव पांड्या से भी मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने यहां मुख्य संतों जिनमें जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी के साथ जूना अग्नि ऊपर निरंजनी अखाड़े के संतो से बंद कमरे में मुलाकात की।
अमित शाह का हरिद्वार कार्यक्रम इतने कम समय में बना था कि पार्टी के नेताओं को भी इस बात की जानकारी नहीं दी गयी। बंद कमरे में हुई बैठक में सिर्फ अमित शाह और संतों को ही बुलाया गया था, उसमें राज्य का कोई नेता मौजूद नहीं था।
फिर अचानक मोहन भगवत का आना
अमित शाह के दौरे के बाद 26 जून को अचानक से संघ प्रमुख मोहन भगवत हरिद्वार पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने भी सबसे पहले जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी से उनके आश्रम में जाकर मुलाकात की थी। इसके बाद संतों के साथ एक गोपनीय बैठक भी की थी।
बैठक का एजेंडा बाहर न आये इसके लिए आरएसएस की तरफ से सभी को साफ निर्देश दिए गए थे। संघ प्रमुख हरिद्वार में 24 घंटे से ज्यादा रहे। इस दौरे के दौरान स्वामी रामदेव से भी उन्होंने बातचीत की। इसके अलावा उन्होंने संत समाज से भी काफी देर बात की। दरअसल, संघ यही चाहता है कि पीएम और बीजेपी की छवि जिस तरह से हिंदुत्व की है, उसे देखते हुये उन्हें यहीं के किसी धार्मिक स्थल से चुनाव लड़वाया जाये।
अमित शाह और मोहन भगवत का दौरा ख़त्म होते ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 1 जुलाई को हरिद्वार पहुंचे थे। वह यहां दो दिन तक रहे। इस दौरान उन्होंने संतों से मुलाकात भी की। साथ ही आश्रम में ही लंबा समय बिताया। इस दौरान शिवराज ने भी स्वामी रामदेव से मुलाकात की। इस दौरान सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद रहे। हरिद्वार में संतो से लगातार मुलाकात का ये दौर बता रहा है कि बीजेपी के लिए धर्मनगरी कितनी महत्वपूर्ण है।
पीएम मोदी के हरिद्वार से चुनाव लड़ने की संभावनायें इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि वो हरिद्वार से चुनाव लड़ते हैं तो हिंदू वोटर को अपनी ओर आसानी से आकर्षित कर पाएंगे। इसके अलावा हरियाणा, पंजाब और दिल्ली तक भी इसका असर देखने को मिलेगा। बता दें इस बार की पौड़ी लोकसभा सीट केदारनाथ के नाम जाएगी।
‘हरिद्वार से अपार वोटो से जीतेंगे पीएम’
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक खुद कह रहे हैं कि वो जल्द ही पीएम से मिलकर ये आग्रह करने जा रहे हैं कि पीएम हरिद्वार से ही चुनाव लड़ें। यहां से उन्हें अपार बहुमत के साथ जीत मिलेगी। इसके अलावा 4 राज्यों में भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।
संत समाज पीएम के स्वागत को तैयार
वहीं, महानिर्वाणी अखाड़े के जाने-माने संत रविंद्रपुरी का कहना है कि प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए संत समाज ही नहीं बल्कि उत्तराखंड का एक-एक बच्चा तैयार है। अगर मोदी यहां से चुनाव लड़ते हैं तो ये हरिद्वार का सौभाग्य होगा। उन्होंने कहा कि धर्मनगरी चारों धामों का द्वार है और उन्हें यहां से विजय जरूर मिलेगी।
कांग्रेस बोली मोदी लड़े या कोई भी वह चुनाव दमदार तरीके से लड़ेंगे
कांग्रेस का कहना है कि वैसे तो ये बीजेपी पार्टी का मामला है। लेकिन कहीं से भी कोई भी चुनाव लड़े उसमें वह क्या कर सकती है। अगर पीएम हरिद्वार से चुनाव लड़ भी रहे हैं तो भी कांग्रेस पांचों सीटों पर दमदार तरीके से चुनाव लड़ेगी।