जो हो गया, सो हो गया. कई लोग यहां से वहां हो ही गए. अब आगे क्या होगा? आगे ये होगा कि कोरोना पीड़ितों की तादाद तेज़ी से बढ़ेगी. क्योंकि हम घरों में रुके ही नहीं. अब मैं कुछ डॉक्टरों द्वारा जताई गई गंभीर चिंता आपके सामने रखना चाहता हूं.
– अधिकतर यानी क़रीब 80 फीसदी कोरोना के मरीज़ ऐसे होंगे जो अपनी इम्युनिटी की वजह से ठीक हो जाएंगे. उन्हें सिर्फ़ आइसोलेशन में रखना होगा जहां सामान्य डॉक्टरों की निगरानी और इलाज में वो फिर स्वस्थ हो जाएंगे. ऐसे लोगों के लिए अस्पतालों से अलग बड़े आइसोलेशन सेंटर बनाए जाने चाहिए जो कई जगह बन भी रहे हैं. इसके लिए बड़े कम्युनिटी सेंटर्स, मैरिज हॉल्स के संचालकों को भी ख़ुद सामने आना चाहिए.
– क़रीब 20 फ़ीसदी कोरोना पीड़ित (बुज़ुर्ग, अन्य बीमारियों से ग्रस्त, कम इम्युनिटी रखने वाले लोग) ऐसे होंगे जिन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर की ज़रूरत पड़ेगी क्योंकि कोरोना वायरस आपकी सांसों का दुश्मन है.
– अब समस्या ये है कि अफ़रातफ़री फैलाने और हैसियत का रौब गांठने की हमारी सामाजिक आदत जाएगी नहीं. ऐसे रसूखदार लोग अपने क़रीबी कोरोना के सामान्य मरीज़ों को भी अस्पतालों के सुपर स्पेशलिटी वॉर्डों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में रखने का दबाव बनाएंगे. वो पैसा लुटाने को भी तैयार रहेंगे. इससे अधिकतर जगहों पर गंभीर रोगियों का हक़ छिनने लगेगा. अगर ये स्थिति बनी तो कुछ ही दिनों में स्वास्थ्य के पूरे बुनियादी ढांचे को छिन्न भिन्न कर देगी.
– अफ़वाहों के दबाव, अफ़रातफ़री और अनजाने में जो ग़लतियां हमने कर दीं वो कर दीं. आगे के लिए सचेत हो जाएं. जिस गंभीर मरीज़ को अस्पताल में दाखिल कराने की ज़रूरत हो उसे ही अस्पताल में दाखिल किया जाए बाकी लोगों को आइसोलेशन सेंटर्स में रखा जाए. कोई डॉक्टरों पर अपना रौब ना गांठे कि वो फलां आदमी है तो उसे वीआईपी इलाज मिले. अगर ऐसा हुआ तो फिर ग़रीब हो या अमीर, किसी को इस बीमारी से लंबे समय तक बचा पाना मुश्किल होगा. संसाधन सीमित हैं, लोग बहुत ज़्यादा, इसलिए समझदारी से इस्तेमाल करने होंगे. चीन और यूरोप में मात खाने के बाद दुनिया अब सहमी हुई भारत की ओर ही देख रही है. दुनिया का हर पांच में से एक इंसान भारत में रहता है. हमने कम क़ीमत देकर संभाल लिया तो दुनिया संभल जाएगी, हम नहीं संभाल पाए तो भगवान जाने क्या हो. चीन, इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे ताक़तवर देशों का हाल आप देख ही रहे हैं.