बैंक ऑफ बड़ौदा ने दक्षिण अफ्रीका में अपनी कुछ पूंजी को फ्रीज किये जाने पर आपत्ति जताई है। कथित तौर पर बैंक द्वारा यह रकम राजनैतिक रूप से सशक्त गुप्ता परिवार व उसके करीबियों को एक सरकार-समर्थित डेरी फार्म के लिए ट्रांसफर की गई थी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ब्लूमफोंटेन स्थित हाई कोर्ट में बैंक के कानूनी प्रतिनिधि ल्यूक स्पिलर ने गुरुवार (28 फरवरी) को कहा कि 30 मिलियन रैंड (ढाई मिलियन डॉलर या 16,32,87,500 रुपये) का प्रिजर्वेशन ऑर्डर गलत है क्योंकि क्लाइंट्स ने यह पैसा निकाल लिया था। ऋणदाता से उतने मूल्य की पूंजी की जब्ती ”अरक्षणीय” है। वकील ने कहा कि अदालती कागजात दिखाते हैं कि अन्य बैंकों ने भी उसी डेरी फार्म को पैसा दिया था मगर उनकी रकम फ्रीज नहीं की गई, जो कि बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ जारी आदेश को अन्याय साबित करता है।
यह मामला 2012 में गुप्ता बंधुओं से जुड़ी कंपनी एस्टिन लिमिटेड को मुफ्त राज्य पट्टे पर सरकारी फार्म दिए जाने से जुड़ा हुआ है। स्थानीय सरकार ने जमीन के विकास पर सहमति जताई थी मगर 19 जनवरी को हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय अभियोजन प्राधिकरण को प्रोजेक्ट की परिसंपत्तियों को फ्रीज करने की इजाजत दे दी। कथित तौर पर फार्म के लिए दी गई 220 मिलियन रैंड से ज्यादा की रकम अतुल गुप्ता (तीन गुप्ता बंधुओं में से एक), व कुछ कंपनियों व सहयोगियों को ट्रांसफर कर दी गई।
अतुल गुप्ता और उसके परिवार से जुड़े कारोबारियों ने इसी अदालत में संपत्तियों की जब्ती पर पुनर्विचार के लिए आवेदन किया है। गुप्ता परिवार के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा से करीबी रिश्ते हैं और उनपर देश में कारोबार हासिल करने और सरकारी नियुक्तियों पर प्रभाव डालने के आरोप लगे हैं। जुमा और गुप्ता बंधुओं ने किसी तरह की हेराफेरी से इनकार किया है। डेरी फार्म पर कार्रवाई देश में सत्ताधारी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर जुमा की जगह दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा के पदासीन होने के बाद हफ्तों बाद ही शुरू हुई है।